लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कारीगरों (विश्वकर्मा) को आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनाने के लिए शुरू हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘पीएम विश्वकर्मा’ को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। 17 सितम्बर से प्रदेश में लागू हुई इस योजना में अब तक सभी 18 ट्रेड्स में कुल मिलाकर करीब 76 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनके सत्यापन का कार्य प्रभावी रूप से किया जा रहा है।
योगी सरकार के निर्देश पर कई जोन में पहले स्तर का सत्यापन कार्य जारी है तो कई जोन में दूसरे स्तर के सत्यापन की कार्यवाही शुरू हो चुकी है। सत्यापन पूर्ण होने के बाद सभी चयनित विश्वकर्मा की ट्रेनिंग शुरू होगी और उन्हें ई-वाउचर के रूप में टूलकिट की खरीद के लिए 15 हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही बैंक के माध्यम से उन्हें लोन दिलाने के लिए कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 17 सितम्बर को पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत 18 ट्रेड्स से जुड़े ‘विश्वकर्मा’ को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसमें उनकी आर्थिक स्थिति के साथ-साथ कौशल को भी निखारने के लिए भी योजना बनाई गई है।
सर्वाधिक आवेदन दर्जी ट्रेड में
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत प्रदेश सरकार को सभी ट्रेड में कुल मिलाकर 76 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें सर्वाधिक 42 हजार से अधिक आवेदन दर्जी ट्रेड में प्राप्त हुए हैं। इसी तरह मिस्त्री ट्रेड में करीब 9000, बढ़ई ट्रेड में लगभग 7 हजार, लोहार ट्रेड में करीब 4 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं। नाई ट्रेड में 2600 से अधिक, मालाकार में 1500 से अधिक, हैमर और टूल किट मेकर ट्रेड में 1300 से अधिक और धोबी व टॉय मेकर में एक-एक हजार से अधिक आवेदन मिले हैं। यही नहीं, फिशिंग नेट मेकर,बॉस्केट मेकर और कॉबलर ट्रेड में भी अच्छी-खासी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन सभी ट्रेड में मिले आवेदनों का सत्यापन कार्य जारी है और सत्यापन पूर्ण होने पर इन्हें कौशल विकास से जोड़ा जाएगा, जिसके बाद इनकी आर्थिक सहायता कर इन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए कार्य किया जाएगा।
तीन स्तर पर होगी सत्यापन की कार्यवाही
प्रवक्ता ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत लाभ लेने की जो प्रक्रिया निर्धारित की गई है,उसके अनुसार सबसे पहले लाभार्थी को आवेदन करना होगा, जिसके बाद तीन स्तर पर (पंचायत या यूएलबी, जिला और राज्य) सत्यापन की कार्यवाही होगी। लाभार्थी को पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी कार्ड मिलेगा। साथ ही लाभार्थी की डिटेल को एमएसडीई को भी भेजा जाएगा। इसके बाद 5 दिन की बेसिक स्किल ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट उपलब्ध कराया जाएगा। चुनिंदा लोगों को 15 दिन या इससे अधिक की एडवांस स्किल ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। लाभार्थी को इसके बाद 15 हजार रुपये टूलकिट इंसेंटिव्स या टूलकिट के लिए प्रदान किए जाएंगे। साथ ही एक लाख रुपये के प्रारंभिक वित्त अंश के लिए आवेदन की जानकारी को बैंक से साझा किया जाएगा। क्रेडिट रिपोर्ट देखने के बाद बैंक लाभार्थी को एक लाख रुपये का लोन प्रदान करेंगे। डिजिटल ट्रांजेक्षन के जरिए लोन चुकाने वाले और 15 दिन की एडवांस ट्रेनिंग लेने वाले लाभार्थी 2 लाख रुपये के दूसरे लोन के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे।
डिजिटल पेमेंट के लिए किया जा रहा प्रोत्साहित
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार लोन के डिजिटल पेमेंट के लिए भी प्रदेश सरकार लाभार्थियों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए डिजिटल लेनदेन को सक्षम बनाने के लिए डिजिटल भुगतान एग्रीगेटर्स को विवरण दिया जाएगा। लाभार्थियों को क्यूआर कोड और यूपीआई प्रोवाइड कराया जाएगा। लाभार्थी इसका उपयोग कर डिजिटल ट्रांजेक्शन में सक्षम हो सकेंगे। लाभार्थियों के विवरण से साथ ही उनके द्वारा किए गए ट्रांजेक्शंस को एनपीसीआई के साथ ही मिनिस्ट्री ऑफ एमएसएमई से साझा किया जाएगा। इसके बाद प्रत्येक लाभार्थी को प्रति ट्रांजेक्शन एक रुपए का इंसेंटिव प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सरकार ने इस योजना के क्वालिटी सर्टिफिकेशन, ब्रांडिंग, एडवरटाइजिंग, पब्लिसिटी और दूसरी मार्केटिंग पहलों के लिए 250 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई है।