प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है कि उसकी जानकारी में यदि कोई कष्ट में हो, विपत्तिग्रस्त हो, उसकी सहायता करें, उसकी रक्षा करो। यदि वह ऐसी परिस्थिति में किसी को देखकर मुंह फेर कर चल दें, उसकी उपेक्षा कर दे, उसकी सहायता न करे तो वह व्यक्ति वीर नहीं कायर है।
जो भीतर की शक्ति से आलोकित हो रहा हो वह व्यक्ति अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता। वह अपने सुख का बलिदान करके यहां तक कि अपने प्राणों की बाजी लगाकर भी पीडि़त की रक्षा करता है। वास्तव में वही तो सच्चा मानव है। जो मानवता का पोषण करे उसे ही सच्चे मानव की संज्ञा से विभूषित किया जा सकता है, परन्तु ऐसे भी लोग संसार में हैं, जो स्वयं तो परहित के कार्य करते नहीं, दूसरों के द्वारा किये जाने वाले कल्याण के कार्यों में भी व्यवधान डालते हैं। वास्तव में वें मानव नहीं दानव हैं, ऐसे व्यक्तियों से तो मानवता ही शर्मसार हो जाती है।
जो लोक कल्याण के कार्यों का विरोध करें, वह जो सज्जनों का अपमान करे, उनकी पीड़ा का कारण बने और दुष्टों को संरक्षण दें, जो जनता की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई पर ऐश करे, जो शक्ति के मद में चूर हो जाये, जो धन होने पर अपनी अमीरी पर घमंड करे, जो स्वयं को ही भगवान मानने लगे वह रावण है, किन्तु जो जन भावना का आदर करे, दीन-दुखियों की सहायता को तत्पर रहे, कष्ट में पड़े हुओ की पीड़ा दूर करे, जो अपना बलिदान करके भी दूसरों की रक्षा करे, जो सबको शीतल करे वह राम है।