Tuesday, May 21, 2024

संजीव जीवा हत्याकांड: आरोपित के घर पहुंची पुलिस, परिजनों से की पूछताछ, किशोरी से बलात्कार में गया था जेल

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जौनपुर। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग स्थित कोर्ट रूम में हुई कुख्यात अपराधी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड के आरोपित के घर गुरुवार को पुलिस ने दबिश दी है।

क्षेत्राधिकारी केराकत गौरव शर्मा, केराकत कोतवाली प्रभारी जय प्रकाश यादव और सरकी चौकी प्रभारी विनोद कुमार अंचल पुलिस बल के साथ हत्यारोपित विजय यादव के घर सुल्तानपुर गांव पहुंचे।

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क्षेत्राधिकारी ने बताया कि आरोपित के क्रिमिनल हिस्ट्री को खंगाला गया है। उसके खिलाफ आजमगढ़ जनपद के देवगांव कोतवाली में वर्ष 2016 में एक किशोरी का अपहरण करने, बलात्कार सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज है। इसी मामले में वह जेल भी गया था। कोविड प्रोटोकाल का उल्लंघन करने पर भी उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।

पूछताछ में पिता श्याम यादव ने बताया कि विजय ने बीकॉम तक पढ़ाई की है। तीन माह से लखनऊ में एक प्राइवेट कंपनी में पानी आपूर्ति करने वाली पाइप का पलंबर का कार्य करता है। 11 मई को वह बीरमपुर गांव निवासी अपने मामा के लड़के की शादी में शामिल होने आया था। दो दिन बाद वह फिर लखनऊ चला गया। उसके बाद से उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। तबसे आज तक उससे परिवार के किसी भी सदस्य से बातचीत नहीं हुई। विजय चार भाईयों में दूसरे नंबर का है। सबसे बड़ा भाई स्वतंत्र यादव, विजय से दो छोटे भाई सुंदरम और सत्यम है। पिता घर में खेती किसानी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं।

विजय द्वारा हत्या की घटना की जानकारी उसके माता-पिता को उस वक्त हुई जब जांच करने पुलिस उनके घर पहुंची। पिता ने बताया कि उनको यकीन नहीं हो रहा है कि उनके बेटे ने हत्या की है। विजय यादव के पिता ने बताया कि उन्हें ग्राम प्रधान से सूचना मिली थी कि बेटे ने लखनऊ में किसी को गोली मार दी है। इसके बाद वह घर पहुंचे। बुधवार को शाम के करीब 6 बजने को होंगे, तभी 6 पुलिस वाले आए। उन्होंने विजय के बारे में पूछताछ की। पुलिस वालों ने यही पूछा की विजय लखनऊ क्यों गया था? कितने दिन पहले वह घर आया?

 पिता ने बताया कि विजय मार्च में घर आया था। उसने घर में सबसे यही बताया था कि मुंबई में उसे कम पैसे मिल रहे हैं। समय से सैलरी नहीं मिलती। इसलिए अब लखनऊ में काम ढूंढने जा रहा है। इसके बाद वो 22 मार्च को लखनऊ चला गया। विजय ने यही बताया कि वह वहां किसी पानी के पाइप वाली कंपनी में काम कर रहा था।

विजय की मां ने सिर्फ इतना ही कहा कि हमारा बेटा सबसे प्रेम से बात करता था।  छोटे भाई सुंदरम ने बताया कि ”भैया 10 मई को मामा के लड़के की शादी में शामिल होने आए थे। 11 मई को लखनऊ के लिए रवाना हो गए। हमारी उनसे तब ही आखिरी बार बात हुई थी। इसके बाद से उनका फोन स्विच ऑफ था।” सुदंरम ने बताया, ”भैया का फोन अक्सर स्विच ऑफ बताता था। यही वजह थी कि इतने दिनों तक बात नहीं हुई तो अचरज नहीं हुआ। अक्सर उनके फोन में बैलेंस की समस्या भी रहती थी। वह अपने जीवन में पहली बार लखनऊ गए थे।”

सुंदरम ने बताया कि 10 जुलाई को आजमगढ़ की एक लड़की अपने घर से भाग गई थी। 16 जुलाई, 2016 हमारे बड़े भाई की शादी थी। शादी के बाद 25 जुलाई को किसी ने घर में बताया कि मिठाई की दुकान का शटर गिरा हुआ है और वहां कोई नहीं है। तब विजय ही दुकान पर बैठता था। जब हम दुकान पहुंचे, तो विजय  का कोई अता-पता नहीं था। बाद में आजमगढ़ पुलिस घर पहुंची थी। पुलिस ने बताया था कि विजय ने नाबालिग लड़की को भगाया है। 6 महीने बाद आजमगढ़ पुलिस ने विजय को मुंबई से गिरफ्तार किया था। उसे आजमगढ़ जेल ले जाया गया था।

उल्लेखनीय है कि राजधानी में हुई घटना के तार जनपद जौनपुर से जुड़ने के बाद जनपद में भी आपराधिक लोगों की कुंडली खंगालने में जिला प्रशासन जुटा हुआ है। स्थानीय थाने की पुलिस गांव में हत्यारोपी को लेकर ग्रामीणों से भी जानकारी एकत्रित कर रही है।

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