मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि दिसंबर 2023 के अंत के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि वाणिज्यिक बैंकों की पूंजी और परिसंपत्ति की गुणवत्ता के प्रमुख संकेतकों के साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के वित्तीय संकेतक भी मजबूत बने हुए हैं।
दास ने बताया, “मैं यहां इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि बैंकों, एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थाओं को शासन की गुणवत्ता और नियामक दिशा-निर्देशों के पालन को सर्वोच्च प्राथमिकता देना जारी रखना चाहिए। वित्तीय क्षेत्र की इकाइयों का काम बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन से जुड़ा है – चाहे वह बैंकों तथा चुनिंदा एनबीएफसी में जमाकर्ताओं का पैसा हो या बॉन्ड तथा अन्य वित्तीय उपकरणों में निवेशकों का। उन्हें इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक इस संबंध में वित्तीय संस्थाओं के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ना जारी रखेगा और यह मानने की जरूरत है कि वित्तीय स्थिरता सभी हितधारकों की संयुक्त जिम्मेदारी है।
दास ने कहा कि आरबीआई अपने नियमों को सरल बनाने और अनुपालन बोझ को कम करने के लिए विनियमित संस्थाओं और विभिन्न हितधारकों के साथ भी जुड़ रहा है।
इस प्रयास के तहत, रिजर्व बैंक द्वारा गठित विनियमन समीक्षा प्राधिकरण (आरआरए 2.0) की सिफारिशों को बड़े पैमाने पर लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, अप्रचलित नियमों को तर्कसंगत बनाने, सरल बनाने और हटाने तथा रिपोर्टिंग तंत्र को सुव्यवस्थित करने के लिए 2023 में आंतरिक समीक्षा समूहों का गठन किया गया था।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरआरए 2.0 और आंतरिक समीक्षा समूहों की सिफारिशों के अनुसरण में एक हजार से अधिक सर्कुलर वापस ले लिए गए हैं। पर्यवेक्षी रिटर्न को तर्कसंगत और सुसंगत बनाने के लिए एक मास्टर डायरेक्शन भी जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक परामर्शी दृष्टिकोण अपनाना जारी रखेगा और उभरते वित्तीय परिदृश्य के अनुरूप नियमों की समीक्षा करेगा।