Tuesday, April 15, 2025

हाईकोर्ट में हिंदी दिवस की तिथि नहीं बता सके प्रधानाचार्य, लगाया 10 हजार का जुर्माना

मेरठ। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक प्रधानाचार्य न तो कविता सुना सके और न हिंदी दिवस की तिथि ही बता पाए। ऐसे में हाईकोर्ट ने प्रधानाचार्य की योग्यता पर सवाल उठाया। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने झूठा शपथ पत्र देने के लिए कार्यवाहक प्रधानाचार्य और प्रबंधक पर दस-दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने सात दिन के अंदर जुर्माने की राशि जमा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने तय समय पर जुर्माना जमा न करने पर प्रबंध समिति के ओथ कमिश्नर को आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

 

मुज़फ्फरनगर में हनी ट्रैप में फंसाया, मेरठ की एसओजी बनकर की 27 लाख की वसूली, मां-बेटी समेत 5 गिरफ्तार

 

दरअसल हितकारी किसान इंटर कॉलेज के प्रवक्ता संजय कुमार और नवीन कुमार को जिला विद्यालय निरीक्षक ने कांवड़ ड्यूटी न करने के आरोप में निलंबित कर दिया था। जिस पर संजय और नवीन ने विद्यालय की प्रबंध समिति और जिला विद्यालय निरीक्षक के समक्ष अपना जवाब दाखिल कर दिया था। जवाब दाखिल करने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक ने दोनों को बहाल कर दिया था। जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश के खिलाफ हितकारी किसान इंटर कॉलेज के कार्यवाहक प्रधानाचार्य अनिल कुमार त्रिपाठी और प्रबंधक ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। दोनों ने उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया था। उन्होंने दावा किया था कि प्रयागराज पहुंचकर शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किये गये हैं। लेकिन उनका यह दावा झूठा पाया गया।

 

मायावती ने आकाश आनंद को दिया झटका, ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला

 

यह भी पढ़ें :  मेरठ में हार्डवेयर दुकान में चोरी करने वाला शातिर चोर गिरफ्तार, CCTV से हुई पहचान

क्योंकि जिस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया गया। उस दिन दोनों प्रयागराज पहुंचे ही नहीं थे। इसी आरोप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रधानाचार्य और प्रबंधक को तलब किया। जब कार्यवाहक प्रधानाचार्य अनिल कुमार त्रिपाठी कोर्ट में तलब हुए तो न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सबसे पहले उनसे एक कविता सुनाने को कहा। इसके बाद न्यायमूर्ति ने प्रधानाचार्य से हिंदी दिवस की तिथि पूछी।

 

मुजफ्फरनगर-शामली को NCR से हटाओ, गन्ना मूल्य बढ़ाओ, इकरा हसन ने लोकसभा में शेर सुनाकर उठाई अपनी मांग

 

लेकिन कार्यवाहक प्रधानाचार्य न तो कोई कविता ही सुना सके और न ही हिंदी दिवस की तिथि ही बता सके। इस पर कोर्ट ने प्रधानाचार्य की योग्यता पर सवाल खड़े कर दिये। हालांकि कार्यवाहक प्रधानाचार्य ने कोर्ट में इसके लिए माफी मांगी। जिस पर कोर्ट ने उन्हें जाने दिया। लेकिन झूठे शपथ पत्र देने के आरोप में कोर्ट ने प्रधानाचार्य और प्रबंधक पर दस-दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया और सात दिन के अंदर जुर्माने की धनराशि को भरने का आदेश दिया।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,719FansLike
5,532FollowersFollow
150,089SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय