बेंगलुरु। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने बुधवार को वरिष्ठ भाजपा नेता अरागा ज्ञानेंद्र द्वारा उनके पिता की त्वचा के रंग को लेकर की गई टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह ‘मनुस्मृति’ का युग नहीं है।
उन्होंने कहा, “यह बाबासाहेब (डॉ. बी.आर. अंबेडकर) के संविधान का युग है।”
उन्होंने दावा किया, “मिस्टर अरागा ज्ञानेंद्र, आपकी टिप्पणियां महज शब्द हैं। वे केशव कृपा (बेंगलुरु में आरएसएस मुख्यालय) से प्रभावित हैं। ये शब्द भाजपा की मानसिकता की गहराई में छिपे शोषित लोगों के प्रति अधीरता को दर्शाते हैं।”
उन्होंने कहा, “कल्याण कर्नाटक के लोग नहीं, आपकी (ज्ञानेंद्र) मानसिकता जली हुई है।”
उत्तरी कर्नाटक में पड़े सूखे का जिक्र करते हुए ज्ञानेंद्र ने कहा था कि लोग चिलचिलाती धूप में जल गए हैं और यह मल्लिकार्जुन खड़गे को दिखने से स्पष्ट है।
जूनियर खड़गे ने कहा, “जिन लोगों ने वर्ण के नाम पर शोषण किया और शोषित वर्ग की मेहनत का फल खा लिया, उनकी त्वचा गोरी हो सकती है। जो लोग स्वाभिमान के साथ कड़ी मेहनत करते हैं, उनकी त्वचा हमेशा सूरज की चिलचिलाती धूप में जलती रहेगी।”
उन्होंने कहा, “यदि अरागा ज्ञानेंद्र से एक ही दिन में कड़ी मेहनत कराई जाए तो उनका रंग काला हो जाएगा। भाजपा जो मनुस्मृति द्वारा प्रतिपादित जाति व्यवस्था और वर्णाश्रम को स्वीकार करती है और उसका जश्न मनाती है, वह राजनीतिक परिदृश्य में दलितों की प्रगति पर अपने आरक्षण के बारे में अपना असली रंग प्रकट करेगी।”
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व गृहमंत्री ज्ञानेंद्र बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के रंग पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर निशाने पर आ गए।
अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगने के बावजूद कांग्रेस ने ज्ञानेंद्र पर हमले जारी रखे। कांग्रेस ने उन पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्हें भाजपा से निष्कासित करने की मांग की और कहा कि उन्हें ऐसे अस्पताल में भेजा जाए जो मानसिक बीमारी का इलाज करता हो।
कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “भाजपा के पूर्व गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर दिया गया अपमानजनक और बिल्कुल गंदा बयान शालीनता की सभी सीमाएं पार कर गया है। वह कह रहे हैं कि खड़गे साहब काेे देखने से लगता है कि उनकी चमड़ी जल गई है… यह न केवल देश के प्रत्येक वरिष्ठ और सार्वजनिक जीवन के प्रति समर्पित अनुभवी व्यक्ति का अपमान है, बल्कि यह इस देश के गरीबों का, इस देश के प्रत्येक एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों का, किसानों और खेत मजदूरों का भी अपमान है। इस मुद्दे को हम न केवल लोगों की अदालत में ले जाएंगे, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कानूनी और राजनीतिक तरीकों का उपयोग करेंगे कि जेपी नड्डा, नरेंद्र मोदी और अरागा ज्ञानेंद्र जैसे उनके साथी अपने कुकर्मों और इस देश के गरीबों का अपमान करने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।”
ज्ञानेंद्र ने पश्चिमी घाट क्षेत्र में कस्तूरीरंगन रिपोर्ट के कार्यान्वयन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेते हुए कहा था कि वन मंत्री ईश्वर खंड्रे उत्तरी कर्नाटक से हैं और उन्हें जंगलों के पास रहने वाले लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
“क्षेत्र के लोगों के पास पेड़ों की छाया नहीं है और वे चिलचिलाती धूप में जल जाएंगे। जब हम मल्लिकार्जुन खड़गे को देखते हैं तो क्या यह स्पष्ट नहीं होता?”
ज्ञानेद्र ने मंगलवार को शिवमोग्गा जिले के तीर्थहल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा था, “यह एक त्रासदी है कि हमारे राज्य के वन मंत्री उस क्षेत्र से आते हैं, जहां बिल्कुल भी जंगल नहीं है। उत्तरी कर्नाटक के लोग चिलचिलाती धूप में बुरी तरह झुलस जाते हैं। अगर हम मल्लिकार्जुन खड़गे को देखें, तो उनकी त्वचा के रंग से यह बात स्पष्ट हो जाती है। ईश्वर खंड्रे के सिर पर कुछ बाल हैं और वह चिलचिलाती धूप से बच सकते हैं।”
यह टिप्पणी बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे पूरे कर्नाटक के लोगों में आक्रोश फैल गया।
दलित संगठनों ने आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए ज्ञानेंद्र की आलोचना की है।
डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने बुधवार को राज्य के पूर्व मंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें मानसिक बीमारी के इलाज के लिए निमहांस अस्पताल भेजा जाना चाहिए।
चौतरफा आलोचना के बाद ज्ञानेंद्र ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांग ली है।