कहावत है- नीम हकीम, खतरा-ए-जान। यह कहावत कैसे बनी बताने की आवश्यकता नहीं है। इसको इस देश का प्रत्येक नागरिक जानता है तथा समय-समय पर इसका उपयोग भी करता रहता है। आज नीम-हकीमों की एक बड़ी फौज खड़ी है, जिनका ज्ञान शरीर-विज्ञान तथा दवाइयों के बारे में शून्य के बराबर है।
एक एमबीबीएस को डॉक्टर बनने में लगभग 5 से 6 वर्ष लगते हैं, उसके बाद भी वह आकस्मिक चिकित्सा का ही ज्ञान प्राप्त कर पाता है किंतु ये नीम-हकीम तो सिरीज लगाना सीखते ही अच्छे-अच्छे डॉक्टरों को पीछे छोड़ जाते हैं, जबकि इसमें से अधिकतर तो किसी अस्पताल में या डॉक्टर के अर्दली के घर में वर्ष- दो वर्ष का अनुभव रखते हैं। क्या कारण है कि ये नीम-हकीम बड़ी संख्या में हमारे गांवों व कस्बों में प्रैक्टिस करते देखे जा सकते हैं। इसका मुख्य कारण है जनता में शिक्षा का अभाव। आम आदमी नीम-हकीम, एमबीबीएस डॉक्टर या एमएस, एसडी में फर्क ही नहीं जानता।
वह सिर्फ इतना समझता है कि वह इलाज करा रहा है, गरीबी के कारण भी लोग इनके जाल में फंस जाते हैं, क्योंकि वास्तविक डॉक्टरों से इन लोगों की फीस बहुत कम होती है। ये नीम-हकीम तरह-तरह की दवाइयां भी अपने पास रखते हैं, जिनका लाइसेंस तक उसके पास नहीं होता है। ऐसे लोगों को डॉक्टरी के लिए न किसी डिग्री या अनुभव की आवश्यकता है और न ही कोई दवाई रखने व बेचने संबंधी लाइसेंस की, इनका काम बिना किसी अवरोध के उस समय तक चलता रहता है, जब तक कि स्थिति विस्फोटक नहीं हो जाती।
इस विषय में दो बड़े दिलचस्प किस्से हैं, एक नीम-हकीम को एक पर्चा मिला, उसमें किसी योग्य डॉक्टर के मरीज को एक सीसी दवाई हर दूसरे दिन लगाने की हिदायत दी थी किंतु अपनी योग्यतानुसार उन महाशय ने सीसी का अर्थ वायल समझा और पूरा 10 सीसी का इंजेक्शन उस बीमार व्यक्ति को लगा दिया। परिणाम स्वयं उसकी दशा बिगड़ गई और इमरजेंसी कक्ष में भी उसका जीवन बचाया नहीं जा सका। दूसरा किस्सा दिल्ली जैसे महानगर से है वहां कुछ समय पूर्व एक महानुभाव कई वर्ष तक झूठी डिग्री से अच्छा नर्सिग होम चलाते रहे, जबकि वे कुछ समय पूर्व मिलिट्री अस्पताल से निकाले गए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। उनके भाग्य ने तब पलटा खाया, जब उन्होंने एमबीबीएस लड़की से शादी की तैयारी की।
लड़की के मां-बाप को खोज के दरमियान पता चला कि जिसे वे अपनी लड़की देने जा रहे हैं, वह एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और बहुत बड़ा धोखेबाज है। नीम-हकीमों के ऐसे बहुत से किस्से गांव-गांव और शहर में मिल जाएंगे।
निर्मला – विभूति फीचर्स