नई दिल्ली। फ्रांस से मिले राफेल लड़ाकू विमान केवल अत्याधुनिक रक्षा तकनीक का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि अब भारत और फ्रांस के बीच परखी हुई दोस्ती और रणनीतिक विश्वास का भी प्रतीक बन चुके हैं। यह बात भारत ने मंगलवार को आधिकारिक दौरे पर आए फ्रांसीसी सीनेट प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कही। विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक में फ्रांस की सीनेट की उपाध्यक्ष कैथरीन ड्यूमा के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के समर्थन की बात दोहराई। इसकी अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की। प्रतिनिधिमंडल में सीनेटर मैरी-अरलेट कार्लोटी, ह्यूजेस सोरी, और फिलिप फोलिओ के अलावा भारत में फ्रांस के राजदूत थियरी माथू भी शामिल थे। उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की व्यापक लड़ाई में फ्रांस के दृढ़ समर्थन को दोहराया। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए शशि थरूर ने बताया कि यह यात्रा पहले से तय थी, लेकिन 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बावजूद प्रतिनिधिमंडल ने भारत आने का फैसला किया ताकि “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता व्यक्त की जा सके”।
थरूर ने कहा, “फ्रांसीसी प्रतिनिधियों ने पहलगाम की त्रासदी और उसके बाद की घटनाओं पर भारत के साथ स्पष्ट और मजबूती से समर्थन जताया। बैठक में भारत की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि फ्रांस से प्राप्त राफेल लड़ाकू विमान केवल रक्षा सौदा नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता और रणनीतिक विश्वास का प्रतीक हैं। इस भावना को वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी दोहराया। रविशंकर प्रसाद ‘ऑपरेशन सिंदूर आउटरीच’ के तहत फ्रांस और अन्य पश्चिमी यूरोपीय देशों के दौरे पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्य हैं, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक मंचों पर उजागर करना है। थरूर ने बैठक में फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल से रविशंकर प्रसाद का परिचय कराते हुए उनके आगामी राजनयिक दौरे की जानकारी दी। इस मौके पर प्रसाद ने कहा कि राफेल साझेदारी लोकतांत्रिक मूल्यों और साझा रणनीतिक हितों पर आधारित है।