Tuesday, May 7, 2024

विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही 13 मार्च तक स्थगित

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नयी दिल्ली। राज्य सभा में कांग्रेस सदस्य रजनी पाटिल के निलंबन और अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर चल रहे विपक्ष के भारी हंगामे के बीच सोमवार को सदन की कार्यवाही 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके साथ ही राज्य सभा में बजट सत्र का पहला चरण संपन्न हो गया।

सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रश्नकाल के शुरू होने के साथ ही सदन के स्थगित करने की घोषणा की। पहले उन्होंने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया लेकिन कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग की और रजनी पाटिल के निलंबन का मुद्दा उठाया।

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सभापति ने कहा कि सदन चलाने में विपक्ष सहयोग नहीं करना चाहता। उन्होंने कहा कि सदस्यों को जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप काम करना चाहिए, लेकिन नारेबाजी कर रहे सदस्यों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने प्रश्नकाल की शुरुआत में ही सदन की कार्यवाही 13 मार्च तक स्थगित करने की घोषणा कर दी।

इससे पहले भी शून्य काल के दौरान श्रीमती पाटिल का निलंबन रद्द करने और हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग को लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अधिकतर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के कारण राज्य सभा की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

पूर्वाह्न सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए धनखड़ ने कहा कि आज दो सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया है जिसमें एक नोटिस आम आदमी पार्टी के संजय सिंह का और दूसरा संतोष कुमार पी का है। उन्होंने गहरी नाराजगी जताते हुये कहा कि संजय सिंह सिर्फ तारीख बदलकर एक ही नोटिस को सात बार दे चुके हैं, जो बहुत ही गंभीर है। उन्होंने कहा कि एक ही मुद्दे पर बार-बार नोटिस देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि आज जो दो नोटिस मिले हैं वे प्रावधानों के अनुरुप नहीं है और स्वीकार नहीं किये जा रहे हैं।

शून्यकाल शुरू करते हुये उन्होंने कांग्रेस और विपक्ष के दूसरे दलों के कुछ सदस्यों के नाम पुकारे लेकिन हंगामे का हवाला देकर वे नहीं बोले। सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों ने हालांकि अपने मुद्दे उठाये। इसी दौरान जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ बोलना चाहा तो धनखड़ ने कहा कि जिन शब्दों को कार्यवाही से हटाया गया है, उसी का उल्लेख किया जाना उचित नहीं है। कांग्रेस सदस्यों के बार-बार कहने पर सभापति ने खड़गे को अपनी बात रखने के लिए कहा। इस पर खड़गे फिर से उन्हीं शब्दों को लेकर बोलने लगे।

उन्होंने श्रीमती पाटिल को निलंबित किये जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ‘सरकार के दबाव में ’ ऐसा किया गया है। इसी बीच सभापति ने उन्हें रोकते हुये कहा कि आप बार-बार सदन में और सदन के बाहर यही कहते हैं। उन्होंने कहा, “ मैं किसी के दबाव में काम नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं नियम के अनुसार और संविधान तथा देशवासियों के हित में काम करता हूं।” उन्होंने कहा कि ‘सरकार के दबाव में’ शब्द को कार्यवाही से हटाया जा रहा है।

इसके बाद उन्होंने सत्तापक्ष के सदस्य को शून्यकाल पर बोलने के लिए पुकारा तभी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी सदस्य सदन के बीचोबीच आकर नारेबाजी करने लगे। सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस पर कहा कि इस तरह का व्यवहार कब तक चलेगा। हंगामा करने वाले सदस्यों का नाम लिया जाना चाहिए और सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर सभी दलों के नेताओं के साथ चर्चा की जानी चाहिए। इस पर सभापति ने कहा कि आम आदमी पार्टी के राघव चढ्ढा, संजय सिंह, कांग्रेस की रंजीत रंजन, शक्ति सिंह गोहिल, इमरान प्रतापगढ़ी आदि का नाम पुकारा।

स्थगन के बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति ने शून्यकाल शुरू करने की कोशिश की। इसी दौरान कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि सदन को संविधान के अनुरूप ही चलाया जाना चाहिए और हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जेपीसी से जांच करायी जानी चाहिए। तभी धनखड़ ने कहा कि जिस विषय पर सदन में एक बार व्यवस्था दी जा चुकी है और उसी को बार-बार उठाने का कोई औचित्य नहीं है। इसी बीच कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने व्यवस्था का सवाल उठाते हुये कहा कि सभापति के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी सदस्य का निलंबन वापस ले सकते हैं और जेपीसी की मांग को पूरा कर सकते हैं।

इस पर सदन के नेता गोयल ने कहा कि निलंबन वापस लेने की जिम्मेदारी सभापति पर नहीं डाली जानी चाहिए। यह काम विपक्षी सदस्य भी अपने आचरण को सुधार कर और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुयी चर्चा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उत्तर दिये जाने के दौरान करीब सवा घंटे तक किये गये अपने व्यवहार के लिए माफी मांग कर पूरा कर सकते हैं।

इससे पहले धनखड़ ने कहा कि वह सिर्फ संविधान और उसकी मूल भावना के अनुरूप ही सदन को चलाने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष का रुख बजट सत्र के शुभारंभ से ही नकारात्मक रहा है। दो दल राष्ट्रपति के अभिभाषण में शामिल नहीं हुये।

श्रीमती पाटिल को सदन के भीतर का वीडियो बनाने और उसे सोशल मीडिया पर डालने पर सदन की कार्यवाही से बजट सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है और यह मामला सदन की विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया है।

संसद में यह बजट सत्र का मध्यावधि अवकाश है, 13 मार्च बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू होगा।

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