पटना। बिहार में सासाराम जिला अदालत ने रामनवमी पर जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में सोमवार को भाजपा के पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद को जमानत देने से इनकार कर दिया। प्रसाद को पुलिस ने 29 अप्रैल को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। उनके वकील ने चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।
अभियोजन पक्ष के वकील ने अदालत से जवाहर प्रसाद और अन्य आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामले में आईपीसी की धारा 302 जोड़ने का आग्रह किया, जो 31 मार्च को रामनवमी के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा में कथित रूप से शामिल थे। इसके बाद कोर्ट ने एफआईआर में आईपीसी की धारा 302 को शामिल करने का आदेश दिया।
अभियोजन पक्ष के वकील नागेंद्र पांडेय ने कहा, चूंकि हत्या एक गैर-जमानती अपराध है, इसलिए अदालत ने जवाहर प्रसाद को जमानत देने से इनकार कर दिया है।
इससे पहले, अदालत ने रामनवमी हिंसा में कथित रूप से शामिल कई लोगों को जमानत दी थी। उन सभी को अब अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया है क्योंकि एफआईआर में धारा 302 को शामिल करने के बाद उनकी जमानत रद्द कर दी गई है।
प्रसाद अब पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं और जमानत मांग सकते हैं।