मुजफ्फरनगर। बहुचर्चित रामपुर तिराहा कांड की सीबीआई बनाम राधा मोहन द्विवेदी पत्रावली में चश्मदीद बुजुर्ग महिला ने अदालत में वारदात की बर्बरता बयान की। हालांकि वह आरोपियों को नहीं पहचान पाई। दस आरोपी अदालत में हाजिर हुए। अपर जिला जज/विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट संख्या-दो के पीठासीन अधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने सुनवाई की।
उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्रवण कुमार ने बताया कि बुधवार को गोपेश्वर की रहने वाली और वर्तमान में देहरादून में रह रही चश्मदीद को अदालत में पेश किया गया। वारदात के वक्त वह आंदोलनकारियों की बस में सवार थीं। उसकी बस में करीब 30 सवारियां थी। बयान के दौरान चश्मदीद ने पुलिसकर्मियों की बर्बरता बयान की। चश्मदीद गवाह ने बयान दिया कि रात करीब ढाई बजे पुलिसकर्मी चार महिलाओं को उनकी बस में बैठाकर गए थे। महिलाओं के कपड़े अस्त-व्यस्त थे और वह रो रहीं थी।
इस दौरान चश्मदीद ने कठघरे में खड़े आरोपियों को नहीं पहचाना। अगली सुनवाई 24 मई को होगी। आरोपी देवेंद्र कुमार, कृपाल सिंह, तनकीम अहमद, रणपाल सिंह, वीरेंद्र कुमार, नरेश त्यागी, राकेश मिश्रा, बृजेश कुमार और सुमेर सिंह अदालत में हाजिर हुए। दस आरोपियों ने हाजिरी माफी प्रार्थना पत्र दिया।