मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने बुधवार को लेखा वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2,10,874 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी। यह आरबीआई द्वारा सरकार को हस्तांतरित किया गया अब तक का सबसे अधिक लाभांश है और इससे उसकी राजकोषीय स्थिति मजबूत होगी।
सरकार अपनी उधारी कम कर सकती है, जिससे आर्थिक विकास को गति देने के लिए कॉरपोरेट्स और उपभोक्ताओं को ऋण देने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में अधिक धनराशि बचेगी। यह राशि सरकार की अपेक्षा से अधिक है, क्योंकि चालू वित्तवर्ष के अंतरिम बजट दस्तावेजों में आरबीआई, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से 1.02 लाख करोड़ रुपये का लाभांश दिखाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि आरबीआई ने वित्तवर्ष 2023-24 के लिए आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) के तहत जोखिम प्रावधान को 6.5 प्रतिशत तक बढ़ाने के बाद सरकार को उच्च राशि उपलब्ध कराई है।
आरबीआई ने गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में निदेशक मंडल की बैठक के बाद एक बयान में कहा, “वित्तवर्ष 2022-23 में आर्थिक विकास में पुनरुद्धार के साथ सीआरबी को बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया। चूंकि अर्थव्यवस्था मजबूत और लचीली बनी हुई है, इसलिए बोर्ड ने वित्तवर्ष 2023-24 के लिए सीआरबी को 6.50 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया है।” लेखा वर्ष 2018-19 से 2021-22 के दौरान मौजूदा व्यापक आर्थिक स्थितियों और कोविड-19 महामारी के हमले के कारण बोर्ड ने विकास को समर्थन देने के लिए सीआरबी को रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट के आकार के 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया था।
आरबीआई के बयान के अनुसार, विशेषज्ञ समिति (अध्यक्ष : डॉ. बिमल जालान) की सिफारिशों के अनुसार, 26 अगस्त, 2019 को रिजर्व बैंक द्वारा अपनाए गए आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के आधार पर वर्ष (2023-24) के लिए हस्तांतरणीय अधिशेष निकाला गया है। समिति ने सिफारिश की थी कि आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) के तहत जोखिम प्रावधान को आरबीआई की बैलेंस शीट के 6.5 से 5.5 प्रतिशत के दायरे में बनाए रखा जाना चाहिए।
बोर्ड ने वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य की भी समीक्षा की, जिसमें आउटलुक के जोखिम भी शामिल हैं। इसमें अप्रैल 2023-मार्च 2024 के दौरान केंद्रीय बैंक के कामकाज पर भी चर्चा की गई और वित्तवर्ष 2023-24 के लिए इसकी वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय विवरण को मंजूरी दी गई।