इटावा- उत्तर प्रदेश के इटावा में चौथे चरण में चुनाव हाेना है और इसके लिए प्रचार आज शाम खत्म हो गया ।
इटावा संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इस बार उनका मुकाबला इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार जितेंद्र दोहरे और बहुजन समाज पार्टी की सारिका सिंह बघेल से है।
इटावा संसदीय सीट पर साल 2014 से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा लगातार बरकरार बना हुआ है। 2014 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अशोक दोहरे विजय हुए थे उसके बाद 2019 में प्रो. रामशंकर कठेरिया को भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उतारा गया जिसमें उनको जीत हासिल हुई। 2024 में एक बार फिर से कठेरिया पर ही भरोसा जताया गया।
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार जितेंद्र दोहरे संविधान बदलने की बात को कह करके भारतीय जनता पार्टी को पछाड़ने का दावा कर रहे हैं वही दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी से पूर्व सांसद सारिका सिंह बघेल अपने को इटावा की बेटी बता कर जीत का बड़ा दावा कर रही है।
साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार राम शंकर कठेरिया ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कमलेश कठेरिया को 64 हजार से ज्याद वोटों से हराया था।बीजेपी उम्मीदवार को 5 लाख 22 हजार 119 वोट मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को 4 लाख 57 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार अशोक कुमार दोहरे को 16 हजार 570 वोट मिले थे।
इटावा लोकसभा सीट से कांग्रेस, बीजेपी और समाजवादी पार्टी को 3-3 बार जीत मिली है. इस सीट पर पहली बार साल 1957 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया ने जीत हासिल की थी जबकि साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के जीएन दीक्षित विजयी हुए थे लेकिन साल 1967 आम चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया सांसद चुने गए।
साल 1971 चुनाव में कांग्रेस के श्रीशंकर तिवारी सांसद बने लेकिन साल 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर तीसरी बार अर्जुन सिंह भदौरिया सांसद चुने गए लेकिन साल 1980 आम चुनाव में जनता पार्टी ने राम सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की।
साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस के रघुराज सिंह चौधरी और साल 1989 चुनाव में जनता दल के राम सिंह शाक्य सांसद चुने गए। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी को पहली बार साल 1991 में जीत मिली थी. बीएसपी के टिकट पर कांशीराम सांसद चुने गए थे लेकिन साल 1996 आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के राम सिंह शाक्य ने जीत हासिल की. बीजेपी को पहली बार साल 1998 में जीत मिली, जब सुखदा मिश्रा ने जीत दर्ज की थी।
1999 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के रघुराज सिंह शाक्य सांसद चुने गए।उन्होंने साल 2004 में भी सीट बचाए रखने में कामयाबी हासिल की। साल 2009 में समाजवादी पार्टी ने प्रेमदास कठेरिया को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की. लेकिन साल 2014 आम चुनाव में बीजेपी के अशोक दोहरे सांसद चुने गए और 2019 में राम शंकर कठेरिया ने जीत दर्ज की.
इटावा लोकसभा सीट पर सबसे ज्याद दलित वोटर हैं।इस सीट पर 4 लाख से ज्यादा दलित वोटर हैं जबकि ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 2.50 लाख है। इस सीट पर राजपूत वोटर्स की संख्या भी 1.5 लाख के करीब है. इसके अलावा लोधी, यादव और मुस्लिम वोटर एक-एक लाख हैं।
इटावा लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें इटावा जिले की भरथना, इटावा सीटें आती हैं जबकि औरेया जिले की दिबियापुर और औरैया विधानसभा सीट इसमें शामिल है। कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा सीट भी इसमें शामिल है। विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी को 3 और समाजवादी पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली थी।