मुजफ्फरनगर। जनपद में विशेष गैंगस्टर कोर्ट ने दो अलग-अलग आपराधिक मामलों में दो अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए उन्हें कठोर कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश काशिफ शेख द्वारा यह सजा गैंगस्टर एक्ट की धारा 2/3 के अंतर्गत दी गई।
पहला मामला: थाना छपार – अपहरण और फिरौती
यह मामला वर्ष 2002 का है। थाना छपार क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बढ़ेडी निवासी विजयपाल पुत्र सिमरु ने थाना छपार में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 5 सितंबर 2002 को उसका भाई राजपाल दोपहर लगभग एक से दो बजे के बीच जंगल में पशु चराने गया था। जब वह देर शाम तक वापस नहीं लौटा तो गांव वालों की मदद से उसकी तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिला।
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बाद में ग्राम प्रधान के जरिए यह जानकारी मिली कि कुछ बदमाशों ने फिरौती की नीयत से उसका अपहरण कर लिया था। इस पर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एक मुठभेड़ के दौरान राजपाल को बदमाशों के कब्जे से मुक्त कराया।
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इन आपराधिक घटनाओं के आधार पर तत्कालीन थाना अध्यक्ष दिनेश सिंह भंडारी द्वारा फारुख पुत्र मकसूद निवासी बागोवाली, राजपाल पुत्र अमीर सिंह निवासी दिलीपपुरा थाना चरथावल, और तोराब पुत्र मकसूद निवासी छपार के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था।
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मामले की सुनवाई के दौरान फारुख और राजपाल की मृत्यु हो चुकी थी। शेष बचे अभियुक्त तोराब को विशेष न्यायाधीश ने दोषी मानते हुए चार वर्ष का कठोर कारावास तथा ₹10,000 का अर्थदंड लगाया।
दूसरा मामला: थाना सिविल लाइंस – लूट और बंधक बनाना
यह घटना थाना सिविल लाइंस क्षेत्र के मोहल्ला जसवंतपुरी की है, जहां पूर्व डिप्टी कमिश्नर वाणिज्य कर अशोक कुमार त्यागी के घर दिन में लगभग 2:30 बजे कुछ बदमाश बिजली मीटर चेक करने के बहाने से घुस आए। उस समय घर में उनकी पत्नी शशि देवी अकेली थीं। बदमाशों ने उन्हें बंधक बनाकर घर से ₹95,000 नकद और सोने-चांदी के आभूषण लूट लिए।
इसी बीच उनका बेटा भी घर आ गया, जिसे भी बदमाशों ने बंधक बना लिया। इस संगीन वारदात के आधार पर तत्कालीन थाना अध्यक्ष चंद्रकिरण यादव द्वारा विकास पुत्र कुलबीर निवासी ग्राम सिसौना, संजय पुत्र कलम सिंह निवासी ग्राम रंगड़ी थाना गंगोह, और शमीम पुत्र फारुख निवासी ग्राम सिसौना के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया।
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इस मामले में अभियुक्त विकास पुत्र कुलबीर को दोषी करार देते हुए विशेष न्यायाधीश काशिफ शेख ने तीन वर्ष का कठोर कारावास तथा ₹10,000 का अर्थदंड सुनाया। इस प्रकरण में पीड़िता शशि देवी ने अदालत में अभियुक्त की पहचान की थी।
अभियोजन पक्ष की भूमिका
दोनों ही मामलों में विशेष लोक अभियोजक दिनेश सिंह पुंडीर एवं राजेश शर्मा ने प्रभावी तरीके से अदालत के समक्ष अभियोजन पक्ष की पैरवी की, जिसके आधार पर दोषियों को सजा सुनाई गई।