Thursday, December 19, 2024

राहुल की न्याय यात्रा, अरुणाचल से शुरू न करने पर बवाल और सवाल ?

15 जनवरी 2024 को कॉंग्रेस के युवा नेता ने एक बार फिर अपने आपको स्थापित करने हेतु एक नई यात्रा, न्याय यात्रा शुरू की है । न्याय यात्रा जैसे जैसे आगे बढ़ रही है बैसे बैसे इसके औचित्य और उपयोगिता पर सवाल उठने लगे हैं? यात्रा के पक्ष मे काँग्रेस, हज़ार तर्क देकर इसे समय की आवश्यकता, देश की ज्वलंत समस्याओं को उठाने का मुद्दा या मोदी सरकार की मणिपुर सहित अन्य विषयों पर असफलता बतलाकर इस यात्रा को न्यायोचित ठहराने का प्रयास बता रही हैं।

राहुल गांधी की इस न्याय यात्रा की शुरुआत देश के भोर के सूरज की रोशनी वाले पहाड़ो की भूमि के रूप में लोकप्रिय, देश का सबसे दूरस्थ राज्य अरुणाचल प्रदेश से शुरू न कर, मणिपुर से शुरू करने पर राजनैतिक दलों ने सवाल खड़े किए हैं?? राहुल गांधी द्वारा काँग्रेस की न्याय यात्रा अरुणाचल प्रदेश से शुरू न करने के पीछे गांधी परिवार और काँग्रेस की, चीनी नेताओं और चीनी रिपब्लिक पार्टी से प्रीति और प्रतिबद्धता सर्वविदित हैं।

देश अच्छी तरह से जानता हैं कि चीनी सरकार लंबे समय से तिब्बत से लगे भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताने का दावा करता आ रहा हैं। चीनी सरकार भारत के अभिन्न अंग रहे अरुणाचल को चीन का हिस्सा बताने का कुत्सित और छद्म प्रयास करती रही हैं। ऐसे किसी भी चीनी प्रयास को भारत सरकार हमेशा अस्वीकार करती रही हैं।

राहुल गांधी ये अच्छी तरह जानते हैं कि वे राजीव गांधी फ़ाउंडेशन को मिले चीनी चंदे के कारण वे चीनी सरकार और चीनी नेताओं की नाराजगी मोल नहीं ले सकते, तभी तो जहां एक ओर राहुल गांधी ने अपनी न्याय यात्रा की शुरुआत अरुणाचल से शुरू न कर मणिपुर से की है ताकि चीनी सरकार को अरुणाचल पर, विरोध के इस धर्म संकट से उबार सके एवं वही दूसरी ओर राजीव गांधी फ़ाउंडेशन को चीनी सरकार से प्राप्त फ़ंड के लिए अपनी कृतज्ञता प्रकट कर सके?
इसकी बानगी, सोशल मीडिया ‘एक्स (ट्वीटर) पर देखने को तब मिला जब चीन के आधिकारिक समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के ओफिसियल ट्वीटर अकाउंट के, उस ट्वीट से मिली जिसमे चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग द्वारा काँग्रेस नेता राहुल गांधी को न्याय यात्रा की शुरुआत अरुणाचल से शुरू न कर मणिपुर से शुरू करने एवं अरुणाचल पर चीनी संप्रभुता का सम्मान करने के लिए राहुल गांधी और कॉंग्रेस का धन्यवाद ज्ञापित किया है।

यद्यपि कुछ लोगो ने इस ट्वीट की जांच कर झूठा बता कर, खारिज किया है, फिर भी क्या कूटनीति का ये तक़ाज़ा नहीं हो सकता कि चीनी सरकार अपने विचारों को प्रकाशित के बाद उसका ही खंडन कर झूठा बताने का प्रयास न कर रही हो? वे ऐसा कर, क्या इस कहावत को सही चरितार्थ नहीं कर रहे कि, ‘साँप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे?

काँग्रेस और राहुल गांधी सहित पूरे गांधी परिवार के मन में चीन और चीनी सरकार के लिए हमेशा एक उदार भावना रही हैं, वे ऐसे किसी भी कार्य या मुद्दे को नहीं उठाएंगे जिसमे चीनी सरकार की नाराजगी मोल लेने का खतरा हो? उनकी यही नीति और उदार भावना, हमेशा भारतवासियों के मन में शंका को जन्म देती रही हैं। एक बार पहले भी 2017 में चीन से डोकलाम विवाद के तनाव के बीच राहुल गांधी की चीनी राजदूतों से दबी-छुपी मुलाक़ात, विवाद का विषय रही हैं, तब भी काँग्रेस ने ऐसी किसी भी मुलाक़ात से इंकार किया था, लेकिन स्वयं चीनी दूतावास द्वारा जारी फोटो से जिसका पर्दाफाश हुआ था।

गांधी परिवार और काँग्रेस का चीनी सरकार के प्रति नरम रवैया, हमेशा से कॉंग्रेस के मूल मे रहा हैं। सितम्बर 2013 में काँग्रेस सरकार के तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री ए के एंटनी की संसद मे इस स्पष्ट स्वीकरोक्ति को कैसे नजऱअंदाज़ किया जा सकता हैं, जिसमें उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों मे बुनियादी ढांचा खड़ा न करने को एक भारी चूक के रूप मे स्वीकारा था।

तब आज क्या देश को ये जानने का हक नहीं हैं कि काँग्रेस और राहुल गांधी ने अपनी न्याय यात्रा देश के पूर्वी छोर अरुणाचल प्रदेश से क्यों शुरू नहीं की? कॉंग्रेस ये तर्क दे सकती हैं कि मणिपुर इस समय पूर्वोत्तर राज्यों में एक ज्वलंत समस्या के रूप में खड़ा हैं। मणिपुर के लोग कानून-व्यवस्था की समस्या के समाधान की बाँट जोह रहे हैं? शायद काँग्रेस मणिपुर की समस्या को देश के सामने रखने के अपने एजेंडे पर कार्य कर रही हो? लेकिन न्याय यात्रा तो अरुणाचल से भी शुरू कर के, मणिपुर होते हुए आगे बढ़ा सकते थे? और मणिपुर की ज्वलंत समस्या को देश के सामने ला सकते थे?

बेशक कॉंग्रेस और राहुल गांधी, चीनी मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स के काल्पनिक या छद्म सवाल का जबाव न दे पर काँग्रेस के युवा ह्रदय सम्राट राहुल गांधी को भारतीय राजनैतिक दलों द्वारा न्याय यात्रा की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश से शुरू न करने के सवाल पर अपनी सफाई अवश्य प्रेषित नहीं करनी चाहिये?
-विजय सहगल

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