नई दिल्ली। भारत में स्टार्टअप संस्थापकों की सैलरी में वित्त वर्ष 2023-24 में 25 प्रतिशत से अधिक की कमी देखने को मिली है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। आईएनसी42 की रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 24 में 30 भारतीय टेक स्टार्टअप्स के 54 संस्थापकों की औसत सैलरी सालाना आधार पर 25.4 प्रतिशत गिरकर 5.44 करोड़ रुपये रह गई है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 7.3 करोड़ रुपये थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि स्टार्टअप संस्थापकों के वेतन में कमी आने की वजह फंडिंग का धीमा होना है। वित्त वर्ष 24 में इन संस्थापकों ने संयुक्त रूप से 291.5 करोड़ रुपये का वेतन हासिल किया था। 2022 के बाद से स्टार्टअप्स की फंडिंग में कमी आना शुरू हुई थी। सरकार ने इससे निपटने और स्टार्टअप्स की मदद करने के लिए जुलाई 2024 में पेश किए बजट में एंजेल टैक्स को खत्म कर दिया था। रिपोर्ट में बताया गया कि स्टार्टअप्स की फंडिंग धीमी होने की वजह वैश्विक स्तर पर अस्थिरता का होना है। भारतीय स्टार्टअप्स की कुल फंडिंग 2021 में 42 अरब डॉलर से घटकर 2022 में 25 अरब डॉलर हो गई और 2023 में और घटकर सिर्फ 10 अरब डॉलर रह गई। हालांकि, 2024 में इस ट्रेंड में बदलाव देखने को मिला है।
रिपोर्ट में शामिल किए गए 30 स्टार्टअप्स ने वित् वर्ष 24 में कुल 73,715 करोड़ रुपये का परिचालन राजस्व दर्ज किया था। इनमें से 11 स्टार्टअप्स को कुल मिलाकर 4,876 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जबकि बाकी ने कुल 7,960 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था। रिपोर्ट में वित्त वर्ष 24 के सबसे अधिक सैलरी पाने वाले स्टार्टअप संस्थापकों की रैंकिंग भी दी गई है। फर्स्टक्राई के संस्थापक सुपम माहेश्वरी 103.8 करोड़ रुपये के वार्षिक सैलरी के साथ शीर्ष स्थान पर थे। हालांकि, फर्स्टक्राई के आईपीओ दस्तावेजों में बताए गए वित्त वर्ष 23 में उनके द्वारा अर्जित 200.7 करोड़ रुपये की सैलरी से यह लगभग 50 प्रतिशत कम था। जीरोधा के संस्थापक निखिल और नितिन कामत सैलरी के मामले में दूसरे स्थान पर रहे। नितिन ने वित्त वर्ष 2024 में 33.5 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले वर्ष के 48 करोड़ रुपये से 30 प्रतिशत कम है, जबकि निखिल का वेतन वित्त वर्ष 2023 से 29 प्रतिशत कम होकर 33.9 करोड़ रुपये रहा।