संभल। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हिंसा भड़काने के मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क को गिरफ्तारी से आंशिक राहत मिली है। हालांकि, उनकी मुश्किलें कम नहीं होंगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांसद जियाउर्रहमान की एफआईआर रद्द करने की मांग खारिज कर दी है। साथ ही अग्रिम जमानत देने से भी इनकार कर दिया है।
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इस मामले में शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने बताया कि सांसद जियाउर्रहमान बर्क सभी एफआईआर रद्द कराने पहुंचे थे। उनका कहना था कि जितने भी एफआईआर दर्ज हुए। यह कई नहीं हो सकते हैं, एक ही एफआईआर होना चाहिए। लेकिन, अदालत ने उनकी एफआईआर रद्दीकरण की प्रार्थना को माना नहीं है। उन्हें जांच के दौरान विवेचक के बुलाने पर जाना पड़ेगा। अगर नहीं गए तो गिरफ्तारी भी हो सकती है।
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उन्होंने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि जिन धाराओं में सांसद बर्क के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें 7 साल से कम की सजा होती है। इस मामले में पुलिस सांसद बर्क को नोटिस जारी करेगी। पुलिस नोटिस जारी कर उन्हें पूछताछ के लिए बुला सकती है। सांसद बर्क को पुलिस की जांच में सहयोग करना होगा। इस मामले पर जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस अजहर हुसैन इदरीसी की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सांसद जियाउर्रहमान बर्क की तरफ से अधिवक्ता इमरान उल्लाह और सैयद इकबाल अहमद ने दलीलें पेश की और बताया कि जिस दिन हिंसा भड़की थी, वो शहर में मौजूद नहीं थे।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में एफआईआर रद्द नहीं होगी और पुलिस जांच जारी रहेगी। हालांकि, हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि सांसद बर्क को अभी गिरफ्तार नहीं करे। वो जांच में सहयोग करेंगे। यूपी के संभल में 24 नवंबर को मस्जिद सर्वे को लेकर भड़की हिंसा मामले में पुलिस ने सपा के स्थानीय सांसद जियाउर्रहमान बर्क को आरोपी नंबर एक बनाया है, उनके खिलाफ कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसके बाद सांसद बर्क ने एफआईआर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और एफआईआर रद्द किए जाने की गुहार लगाई थी।