मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राऊत के भाई और विक्रोली से विधायक सुनील राऊत ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी है।
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सुनील राऊत ने कहा है कि चुनावी नतीजे अविश्वसनीय हैं और अगर बैलेट पेपर से दोबारा चुनाव कराए जाते हैं, तो वह अपने विधायक पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं। सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, “मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र में 40,000-50,000 वोटों से जीतना चाहिए था, लेकिन मुझे केवल 16,000 वोटों के अंतर से जीत मिली।”उन्होंने यह भी दावा किया कि हजारों मतदाता चुनाव नतीजों से असंतुष्ट हैं और इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं।सुनील राऊत ने अपनी पोस्ट में कहा, “अब दूध का दूध और पानी का पानी होने दो।”
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महाराष्ट्र में चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। शरद पवार और उद्धव ठाकरे गुट के नेताओं ने आरोप लगाया है कि जनता ने महायुति को वोट नहीं दिया था, फिर भी उन्हें भारी जीत मिली। विपक्ष का कहना है कि चुनाव में ईवीएम के जरिए छेड़छाड़ हुई है और बैलेट पेपर से दोबारा चुनाव होना चाहिए।
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महायुति (भाजपा-शिवसेना शिंदे गुट) के नेताओं ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि यह हार पचाने में असमर्थ विपक्ष की रणनीति है। महायुति के नेताओं का दावा है कि जनता ने उन्हें विकास कार्यों और नेतृत्व के आधार पर वोट दिया है। उन्होंने कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाना तर्कहीन है और इसका कोई ठोस आधार नहीं है।
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चुनावी नतीजे घोषित होने के दो सप्ताह बाद महायुति ने नई सरकार का गठन किया। महायुति को भारी बहुमत मिला, जिसने विपक्ष को बैकफुट पर धकेल दिया। विपक्ष इस बहुमत पर सवाल खड़ा करते हुए चुनावी प्रक्रिया को लेकर लगातार आवाज उठा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ईवीएम को लेकर शिकायतों के बावजूद इसे पूरी तरह से खारिज करना या दोबारा चुनाव कराना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। भारत में ईवीएम के उपयोग को लेकर सुरक्षा के कड़े प्रावधान हैं। हालांकि, विपक्ष के इस मुद्दे ने जनता और राजनीतिक हलकों में एक नई बहस छेड़ दी है।