Sunday, May 19, 2024

संजय शेरपुरिया गिरफ्तार, खुद को बताता था पीएम दफ्तर का करीबी,गुजरात का है कारोबारी, करोड़ों की ठगी का है आरोप

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने विभूतिखंड से संजय शेरपुरिया को गिरफ्तार किया है। उसने खुद को भाजपा नेताओं का करीबी बताकर कई लोगों को ठगी का शिकार बनाया है। संजय की ठगी की रकम कई सौ करोड़ रुपये है।

यूपी एसटीएफ से मिली प्रारंभिक जानकारी में अभी तक यही पता चला है कि विभूतिखंड के पॉश इलाके से करोड़ों की ठगी करने वाले संजय शेरपुरिया को गिरफ्तार किया गया है। उसने कई बड़े-बड़े भाजपा नेताओं के साथ फोटो खिंचवाई है। इन्हीं फोटो को वह लोगों को दिखाकर बताता था कि उसकी भाजपा के दिग्गज नेताओं में पैठ है। इसी के जरिए वह बड़े-बड़े खेल करके करोड़ों रुपये कमा चुका है। अभी तक जांच में संजय की ठगी की रकम कई सौ करोड़ रुपये आंकी गई है। अब एसटीएफ उससे इन रकम के बारे में पूछताछ कर जल्द ही मामले का खुलासा करेगी।

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गुजरात के दिग्गज उद्योगपतियों में होती है गिनती

जनपद गाजीपुर के मुहम्मदाबाद तहसील के शेरपुर गांव रहने वाला संजय राय “शेरपुरिया” की गिनती गुजरात के दिग्गज उद्योगपतियों में होती हैं। उसका देश-विदेश में बहुत बड़ा व्यापार है। वह संस्था यूथ रूरल आंत्रप्रेन्योर फाउंडेशन का फाउंडर भी है।

दिल्ली में बनवाया है आलीशान बंगला

संजय शेरपुरिया का दिल्ली में एक आलीशान बंगला भी है। उसने वहां पर जो वाईफाई का कनेक्शन लिया है उसमें पीएम आवास लिख रखा है। वह अपने लोगों को यही बताता है कि उसका काम पीएमओ से संबंधित है और ये आवास भी इसलिए उसे मिला है।

उनकी गिरफ्तारी को लेकर लोग हतप्रभ हैं। अपने क्षेत्र में उनका नाम एक मसीहा के रूप में ही जाना गया। वह भी अन्ना आंदोलन की तरह ही एक आंधी के समान कोरोना काल में गाजीपुर आए थे। लोगों की सहायता के लिए आगे हाथ बढ़ाया और अपने टाइटल के आगे अपने गांव का नाम भी जोड़ लिया। अब जब एसटीएफ ने उन्हें दबोचा तो परिचित भी उनसे दूरी बनाने लगे हैं।

सूत्रों की मानें तो संजय शेरपुरिया का संबंध सभी राजनीतिक दलों के प्रभावी तथा धनाढ्य मंत्रियों व विधायकों से रहा है। इन्हीं संबंधों के जरिये शेरपुरिया लोगों को अपने जाल में फंसाकर धनउगाही करता था।

उल्लेखनीय है कि कोरोना के समय संजय राय शेरपुरिया अचानक से गाजीपुर में प्रकट हुए। कोविड के दौरान शेरपुरिया ने ऑक्सीजन, खाद्य सामग्री के साथ ही कोरोना के शिकार हुए मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी बैंक खोले और मृतकों के परिजनों को लकड़ी भी मुहैया कराया।

उसके पूर्व उत्तर प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री का पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के अंतिम छोर पर हैदरिया में कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में संजय राय शेरपुरिया भी पहुंचे थे। उस समय तक गाजीपुर में ये चर्चित नाम नहीं था, लेकिन जिस तरह से मंत्री ने संजय शेरपुरिया को गले लगाकर स्वागत किया, वहीं से ये गाजीपुर के लोगों में चर्चित हो गये।

इसके बाद इन्होंने गाजीपुर मुख्यालय पर ही कुछ दिनों में अपना आवास बना लिया। वहां से संजय ने दुकानदारों के लिए एक ठेलिया बनवाया, जिसका ऐसा माॅडल था कि सब्जी रखने पर भी वह जल्द खराब नहीं होगी। उसको उन्होंने गरीबों में बांटना शुरू किया। इसके बाद तरह-तरह की योजनाओं को संजय राय शेरपुरिया ने शुरू कराया और कुछ ही समय में उनका नाम गाजीपुर के लोगों में लोकप्रिय हो गया। सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि और सहयोग को लेकर धीरे-धीरे संजय चर्चा के केंद्र बिंदु में आ गये।

बीते दिनों अपने पिता की याद में गांव शेरपुर में एक किलोमीटर की सड़क अपने पैसे से बनवा दी। वह भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया। हकीकत कुछ भी हो लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। उनमें सबसे बड़ा संजय राय शेरपुरिया का उप्र की सत्तासीन सरकार में कई दिग्गज नेताओं के साथ संपर्क और करीबी का है।

चर्चा उठ रही है कि वो लोगों को इसका झांसा भी देते रहे हैं। इस रसूख के दम पर बहुत लोगों के काम भी कराए जाने के आरोप भी उठ रहे हैं। इसके अलावा संजय राय शेरपुरिया गरीबों की सेवा भाव के लिए भी जाने जाते रहे, लेकिन आज उनकी गिरफ्तारी के बाद लोग हतप्रभ हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इन्होंने कहां कितना और कैसा घोटाला किया है।

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