जौनपुर। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड के तार जौनपुर से जुड़ने के बाद पुलिस सक्रिय हुई तो एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। जिस जीवा हत्याकांड को आज से 18 वर्ष पहले अंजाम दिया जा चुका था ऐसे में पुनः जीवा की पुलिस अभिरक्षा में न्यायालय परिसर में हुई हत्या पुलिस पर कहीं न कहीं सवालिया निशान खड़ा कर रही है।
18 साल पहले घटना की बात करें तो 26 जुलाई वर्ष 2005 दिन मंगलवार को जौनपुर पुलिस द्वारा अचानक से कंट्रोल रूम द्वारा वायरलेस पर सूचना देती है कि बदलापुर से एक क्वालिस में चार बदमाश पुलिस पर गोली चलाते हुए जौनपुर की दिशा में जा रहे हैं। सूचना मिलते ही बक्सा थाने की पुलिस ने रोड पर नाकेबंदी किया। तूफान की तरह आते हुए क्वालिस ने पुलिस पर फायरिंग करते हुए बैरिकेडिंग को उड़ा दिया। उक्त सूचना पुलिस हेड क्वार्टर को दी गई। जौनपुर शहर में पुलिस पॉलिटेक्निक चौराहे पर उक्त बदमाशों को रोकने का प्रयास किया। बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग कर दिया।
उस समय के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अभय कुमार प्रसाद स्वयं नेतृत्व करते हुए पुलिस लाइन स्थित अपने आवास से निकल गए। जनपद के बदलापुर, बक्सा, लाइन बाजार, जफराबाद, एसओजी तथा अन्य टीमें पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में उक्त बदमाशों का पीछा करने में लग गई। बदमाश अपने आपको घिरता देख, जौनपुर वाराणसी राजमार्ग पर स्थित हौज गांव से जफराबाद कस्बे की तरफ निकल गए। नगर पंचायत के मोहल्ला नासही में शाह बंदगी दरगाह के पास अपनी क्वालिस खड़ी करके चार बदमाश दो दो की संख्या में अलग-अलग दिशा में निकल गए। दो बदमाश नासही मोहल्ले से गुजरते हुए शाहबाडे पुर गांव के पास पहुंचे। जफराबाद कस्बे में अफरा-तफरी मच गई बाजार सकरा था पुलिस आनन-फानन में अपने वाहन को कस्बे से बाहर निकालना चाह रही थी ऐसे में सब्जी तथा ठेला वालों को हटाते हुए पुलिस नगर पंचायत के दूसरे छोर पर पहुंची।
पुलिस को सूचना मिली कि दो बदमाश शाहबडेपुर गांव की तरफ लाल रंग का बैग लेकर पैदल जा रहे हैं। पीछा करते हुए उक्त दोनों बदमाशों को पुलिस ने घेर लिया। अपने आप को घिरते देख दोनों बदमाश गांव में लौटू राम यादव के घर में उनकी पुत्री चंदा देवी को पिस्टल के नोक पर घर के अंदर अगवा करके घर को बंद कर लिया। पुलिस ने चारों तरफ से घर को घेर लिया। उक्त दोनों बदमाश अंदर से पुलिस को चेतावनी देने लगे कि आप लोग चले जाएं अन्यथा इस लड़की को गोली मार देंगे। स्वयं पुलिस अधीक्षक पुलिस टीम का नेतृत्व करते हुए अपना धैर्य नहीं खोए। अंत में पुलिस ने सुरक्षित चंदा को अपने कस्टडी में ले लिया। दो बदमाशों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस अधीक्षक तथा अन्य अधिकारियों ने मारे गए बदमाशों में विजय बहादुर सिंह निवासी मलिहाबाद लखनऊ तथा दूसरे की पहचान जीवा के नाम बताया गया। दूसरे बदमाश की शिनाख्त करने के लिए लंबे समय तक पुलिस ने जीवा के गांव में अपनी टीम लगा कर रखा। कई वर्षों तक दूसरे बदमाश को जीवा के नाम से पुलिस बताती रही।
बाद में पता चला कि उक्त बदमाश जीवा नहीं कोई और है। दूसरे बदमाश की पहचान आज तक पुलिस नहीं कर पाई। फाइल क्लोज कर दी गई। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अभय कुमार प्रसाद ने 26 जुलाई 2005 को शाम पत्रकार वार्ता में बताया था कि उक्त चारो बदमाश मुख्तार अंसारी के कहने पर बनारस के एक बड़े नेता की हत्या करने के लिए अंजाम देने के लिए बनारस जा रहे थे।
उक्त बदमाशों से मुठभेड़ करने के लिए नगर पंचायत निवासी अजय श्रीवास्तव ने अपनी लाइसेंसी बंदूक निकाल कर बदमाशों से मुठभेड़ कर लिया था। पुलिस के आने से पहले ही अजय श्रीवास्तव ने ललकारते हुए बदमाशों को अपनी लाइसेंसी बंदूक से घेर लिया था। बड़ा सवाल ये उठता है जिस जीवा की हत्या 18 साल पहले हुई और उसकी आज तक कोई जांच-पड़ताल नहीं हुई और पुनः जीवा की हत्या पुलिस पर सवालिया निशान खड़ा करती है। जौनपुर में हुई मुठभेड़ में मारे गए दूसरे व्यक्ति की आज तक शिनाख्त क्यों नहीं कराई गई। उन दिनों ये खबर अखबारों ने प्रमुखता से छापी और सुर्खियों भी बनी थी।