Thursday, December 19, 2024

सचिव, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने किया दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर का दौरा

गाजियाबाद। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्री श्रीनिवास कटिकिथला ने 1 दिसंबर को दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ने वाले भारत के पहले रीज़नल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर का दौरा किया। इस दौरे की शुरुआत न्यू अशोक नगर आरआरटीएस स्टेशन से हुई, जहां एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक श्री शलभ गोयल ने एनसीआरटीसी के निदेशकों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उनका स्वागत किया।

 

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इस दौरे के दौरान कटिकिथला ने आरआरटीएस कॉरिडोर के दिल्ली खंड के परिचालन की शुरुआत के लिए की जा रही तैयारियों का जायजा लिया। फिलहाल यात्री परिचालन के लिए इस खंड पर नमो भारत ट्रेनों के ट्रायल रन किए जा रहे हैं।
उन्होंने एनसीआरटीसी द्वारा मौजूदा परिवहन साधनों के पास बनाए जा रहे आरआरटीएस स्टेशनों के निर्माण कार्य का जायजा लिया। एनसीआरटीसी के एमडी ने उन्हें बताया कि किस तरह से फुट-ओवर ब्रिज (एफओबी), लिफ्ट और एस्केलेटर के व्यापक प्रयोग से परिवहन के विभिन्न साधनों को सहजता से एकीकृत किया जा रहा है, जिससे यात्री सड़कों पर उतरे बिना ही उनके बीच आसानी से आवागमन कर सकते हैं।

 

 

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उन्होंने एनसीआरटीसी द्वारा कई निर्माण चुनौतियों का सामना करते हुए एक व्यापक पारगमन केंद्र का निर्माण करने के लिए अपनाए जा रहे रणनीतिक और भविष्यवादी दृष्टिकोण की सराहना की। न्यू अशोक नगर और आनंद विहार आरआरटीएस स्टेशन दोनों ही इस मल्टीमॉडल एकीकरण का उदाहरण हैं, जो प्रभावी रूप से दिल्ली मेट्रो और उनके आसपास के अन्य परिवहन माध्यमों से निर्बाध रूप से ज्जोड़े जा रहे हैं।

 

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कटिकिथला ने गाजियाबाद आरआरटीएस स्टेशन पर स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन भी किया जो एनसीआरटीसी की सस्टेनबिलिटी  हासिल करने की प्रतिबद्धता में एक प्रमुख मील का पत्थर है। आरआरटीएस कॉरिडोर में एनसीआरटीसी द्वारा स्थापित यह सौर ऊर्जा छत संयंत्र, अब तक का सबसे बड़ा संयंत्र है, जिसमें लगभग 1 मेगावाट (965 किलोवाट (kWp)) की सोलर ऊर्जा उत्पादन करने की क्षमता है।

 

 

यह पहल एनसीआरटीसी के स्टेशनों, डिपो और सबस्टेशनों को सौर ऊर्जा उत्पादन के केंद्रों में बदलने के व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो इसके कार्बन फुटप्रिंट्स को काफी कम करता है। वर्तमान में एनसीआरटीसी 4 मेगावाट पीक (MWp) की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता के साथ अनुमानित वार्षिक 4,100 टन CO2 उत्सर्जन में कमी ला रहा है।

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