Monday, November 25, 2024

यूपी भवन में महिला का यौन शोषण , महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ‘अफसर और मंत्रियों’ के बहाने किया यौन शोषण

नोएडा। दिल्ली के यूपी भवन से एक महिला के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है। महिला ने महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। महिला ने कहा, राजवर्धन परमार ने दो मंत्रियों से मुलाकात के नाम पर उसे कमरा नंबर-122 में बुलाया। वहां उसका यौन शोषण करने की कोशिश की। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल, वारदात वाले कमरे को सील कर दिया गया है।

यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने बताया, “27 मई को दिल्ली में तैनात यूपी सरकार के स्थानीय आयुक्त ने उन्हें लेटर भेजकर मामले की जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि 26 मई को राजवर्धन दोपहर 12.22 बजे एक महिला के साथ यूपी भवन में पहुंचे थे। उन्होंने वहां पर मौजूद कर्मचारियों से कहा कि किसी ‘बड़े अधिकारी’ के लिए कमरे की जरूरत है। इस पर वहां मौजूद कर्मचारियों ने कमरा नंबर-122 खोल दिया। राजवर्धन उस महिला के साथ अंदर चले गए।”

मिली जानकारी के मुताबिक,  दिल्ली के रहने वाले राज्यवर्धन सिंह परमार 26 मई 2023 की दोपहर करीब 12:20 पर एक अज्ञात महिला को लेकर UP भवन पहुंचे। उस वक्त स्वागत पटल पर दो कर्मचारी राकेश चौधरी और पारस मौजूद थे। इन लोगों ने राज्यवर्धन सिंह परमार को एक कमरा उपलब्ध करवाया। राज्यवर्धन सिंह परमार इस समय महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन वह उन विशेष लोगों की सूची में शामिल नहीं है, जिन्हें दिल्ली के UP भवन में कमरा आवंटित किया जा सकता है। इसके बावजूद गलत ढंग से राज्यवर्धन सिंह परमार को कमरा आवंटित किया गया।

घटना से जुड़ा एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है। इसमें दिख रहा है कि राजवर्धन 1.05 बजे कमरे से बाहर निकले और चले गए। इसके बाद महिला ने दिल्ली पुलिस के थाना चाणक्यपुरी में पहुंचकर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस तुरंत हरकत में आई और यूपी भवन पहुंची। फोरेंसिक टीम को बुलाकर कमरे की जांच पड़ताल की।

एसपी गोयल ने बताया, “18 मई 2016 के शासनादेश में यूपी भवन, दिल्ली में ठहरने वाले लोगों की लिस्ट निर्धारित है। इसमें राजवर्धन का नाम नहीं है। कर्मचारियों द्वारा राजवर्धन को कमरा देने का कोई औचित्य ही नहीं बनता था।”

सरकार ने कार्याधिकारी डॉ. दिनेश कुमार कारुष, वरिष्ठ स्वागती पारसनाथ, कनिष्ठ सहायक राकेश कुमार सिंह, आउटसोर्सिग कर्मचारी नरेंद्र को दोषी माना है। इनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। सरकार ने मामले की जांच राज्य संपत्ति विभाग के संयुक्त सचिव राजाराम द्विवेदी को सौंप दी है।

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