Wednesday, January 8, 2025

वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के मंगला आरती में विराजे लड्डू गोपाल,दर्शन पाकर शिवभक्त निहाल

वाराणसी। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर मंगलवार को तड़के श्री काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के मंगला आरती में भगवान लड्डू गोपाल भी विराजे। पहली बार भगवान लड्डू गोपाल और बाबा विश्वनाथ का एक साथ दर्शन पाकर शिवभक्त आह्लादित हो गए। दरबार में ऑनलाइन भी श्रद्धालुओं ने दर्शन किया। इसके पहले दरबार में आधी रात को भगवान लड्डू गोपाल का जन्म हुआ तो पूरे परिसर में हर-हर महादेव, जय कन्हैया लाल की गूंज रही। धाम परिसर में शंख वादन, घंटा, घड़ियाल, डमरू की निनाद और वैदिक मंत्रोंच्चार के बीच जन्मोत्सव मनाया गया। इस दौरान धाम परिसर में हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही।

इसके बाद भगवान लड्डू गोपाल को निकट स्थित सत्यनारायण मंदिर में रात्रि विश्राम कराया गया। फिर मंदिर से लोकर भगवान लड्डू गोपाल को बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती में विराजमान कराया गया। इसके बाद मंदिर का पट खुलते ही दर्शन पूजन अनवरत शुरू हो गया।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र के अनुसार पहली बार मंदिर के गर्भगृह में भगवान लड्डू गोपाल बाल रूप में पधारे हैं। रात के 12 बजे जन्म के करीब ढाई घंटे बाद मंदिर के गर्भगृह में लड्डू गोपाल को विराजमान किया गया था। इस नयनाभिराम दृष्य के दर्शन-पूजन के लिए दुनिया भर में लाइव प्रसारण किया गया। महादेव के सौम्य, सुंदर, कल्याणकारी श्री विश्वनाथ स्वरूप की मंगलकारी मंगला आरती, आराधना में लड्डू गोपाल श्री विश्वेश्वर के साथ विराजे। यह संपूर्ण मनोहारी सनातन परंपरा शिवभक्तों को आह्लादित करती रही।

गौरतलब हो कि भगवान श्रीकृष्ण और महादेव के बीच आपसी संबंध का वर्णन भागवत पुराण में भी उल्लेख है। इस संबंध में ब्रजक्षेत्र में एक कथा है कि जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो महादेव उनको देखने कैलाश से आए, यशोदा मैया ने जब महादेव का रूप देखा जो नाग लिपटे हुए हैं, भस्म लिपटी हुई है और बाघंबर में हैं। उनके माथे पर चंद्रमा विराजमान है और सिर से गंगाजी निकल रही हैं।

यशोदा मां ने कहा कि लल्ला को देखना है तो पानी में छाया देखनी होगी। लल्ला आपको देखेगा तो डर जाएगा। भगवान कृष्ण को उन्होंने नीचे पानी के थाल में दिखाया। उस थाल में महादेव ने कृष्ण भगवान का बालरूप देखा। कथा प्रसंग में महादेव के मस्तक पर जो चंद्रमा विराजमान रहते हैं उनकी छवि पानी में जब पड़ी। तो चंद्रमा चमकने लगे। यह देख भगवान लड्डू गोपाल मां से कहते हैं कि मुझे तो यही खिलौना चाहिए।

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