Tuesday, April 1, 2025

शिवसेना नेता राहुल शेवाले की मांग, अष्टविनायक मंदिरों को प्रसाद योजना में किया जाए शामिल

मुंबई। शिवसेना नेता एवं पूर्व सांसद राहुल शेवाले ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखा और मांग की है कि महाराष्ट्र के अष्टविनायक मंदिरों को प्रसाद योजना के अंतर्गत शामिल किया जाए। उन्होंने पत्र में कहा है कि “सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के एक मामले को ध्यान में लाने के लिए” यह पत्र लिखा गया है। राहुल शेवाले ने पत्र में लिखा कि महाराष्ट्र के अष्टविनायक मंदिर न केवल महाराष्ट्र के बल्कि पूरे भारत और उसके बाहर लाखों भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखते हैं। भगवान गणेश को समर्पित ये आठ प्रतिष्ठित मंदिर हमारी धार्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हर साल किसी भी समय असंख्य तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं।

पर्यटन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई प्रसाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान) योजना पूरे देश में तीर्थयात्रा और विरासत स्थलों को विकसित करने का एक सराहनीय प्रयास है। इस योजना के तहत अष्टविनायक मंदिरों को शामिल करने से क्षेत्र और भक्तों को बहुत लाभ होगा, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा, सुविधाएं और समग्र अनुभव उपलब्ध होगा। उन्होंने लिखा, “अष्टविनायक मंदिर में मोरगांव में मयूरेश्वर मंदिर, सिद्धटेक में सिद्धिविनायक मंदिर, पाली में बल्लालेश्वर मंदिर, महाड में वरदविनायक मंदिर, थेउर में चिंतामणि मंदिर, लेन्याद्रे में गिरिजात्मज मंदिर, ओजर में विघ्नेश्वर मंदिर, रांजणगांव में महागणपति मंदिर न केवल पूजा के स्थान हैं, बल्कि हिंदू मंदिरों की जीवंत सांस्कृतिक विरासत के केंद्र भी हैं।

प्रसाद योजना में उनके समावेश से इन प्राचीन स्थलों को संरक्षित करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे, बेहतर कनेक्टिविटी और आधुनिक सुविधाओं के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।” उन्होंने लिखा, “इसके अतिरिक्त, प्रसाद योजना के तहत इन स्थलों का विकास करना देश की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा। मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि कृपया अष्टविनायक मंदिरों को प्रसाद योजना के अंतर्गत शामिल करने पर विचार करें। यह पहल निस्संदेह तीर्थयात्रा के अनुभव को बढ़ाएगी और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक आध्यात्मिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन में योगदान देगी।”

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