रामपुर। डूंगरपुर प्रकरण के एक अन्य मामले में न्यायालय ने गुरुवार को फैसला सुनाया। सपा नेता आजम खां समेत सभी आठ आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में आजम के अलावा सेवानिवृत्त सीओ आले हसन, पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर खां, सपा के प्रदेश सचिव ओमेंद्र चौहान, दारोगा फिरोज खां, बरकत अली ठेकेदार, जिबरान और रानू खां को नामजद किया था। डूंगरपुर के अब तक तीन मामलों में फैसला आ चुका है, जिसमें दो मामलों में आजम खां बरी हुए हैं। एक मामले में उन्हें सात साल की सजा हुई है।
सपा शासनकाल का है डूंगरपुर प्रकरण
डूंगरपुर प्रकरण सपा शासनकाल का है। तब पुलिस लाइन के पास डूंगरपुर में आसरा आवास बनाए गए थे। यहां पहले से कुछ लोगों के मकान बने हुए थे, जिन्हें सरकारी जमीन पर बताकर वर्ष 2016 में तोड़ दिया गया था। इन लोगों द्वारा ही भाजपा की सरकार आने पर वर्ष 2019 में गंज कोतवाली में मुकदमे दर्ज कराए थे।
12 लोगों की ओर से दर्ज अलग-अलग मुकदमों में आरोप है कि सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस और सपाइयों ने बस्ती में आसरा आवास बनाने के लिए उनके घरों को जबरन खाली कराया था। उनका सामान लूट लिया और मकानों पर बुलडोजर चलवाकर ध्वस्त कर दिया था।
इन मुकदमों में पहले आजम खां नामजद नहीं थे, लेकिन अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी और उनके बयानों के आधार पर पुलिस ने आजम खां को भी आरोपी बनाया था। बाद में उनके खिलाफ भी आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था। इन मामलों की सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) में चल रही है।
गुरुवार को जिस मामले में फैसला आया है, वह शहर के मोहल्ला घेर मियां खां की विधवा शफीक बानो का है। महिला ने गंज कोतवाली में कराई रिपोर्ट में कहा था कि उसने वर्ष 2012 में डूंगरपुर में 283 वर्ग मीटर जमीन खरीदी थी। यहां मकान बनाकर रहने लगी थी।
तीन फरवरी 2016 की रात करीब सवा आठ बजे आजम खां के इशारे पर अन्य आरोपी उनके घर में घुस गए। गाली गलौज की और जान से मारने की धमकी देकर परिवार समेत बाहर निकाल दिया।
मकान पर बुलडोजर चला दिया और घर में रखे नौ हजार रुपये लूट लिए थे। न्यायालय में सुनवाई के दौरान अभियोजन इन आरोपों को साबित नहीं कर सका। न्यायाधीश विजय कुमार ने आजम खां समेत सभी को दोषमुक्त मानते हुए आरोपों से बरी कर दिया है।