Thursday, January 16, 2025

श्रीलंका ने रिहा किए 15 भारतीय मछुआरे, लौटे स्वदेश

चेन्नई। श्रीलंकाई सरकार ने 15 मछुआरों को रिहा कर दिया। सभी मछुआरे भारतीय राजनयिक अधिकारियों को सौंप दिए गए। अधिकारियों ने मेडिकल जांच की और मछुआरों के लिए आपातकालीन पासपोर्ट की व्यवस्था की, जिन्हें फिर कोलंबो से चेन्नई हवाई अड्डे के लिए रवाना किया गया। मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने मछुआरों का स्वागत किया और अलग-अलग वाहनों से उनके गृहनगर ले जाया गया। रामेश्वरम के तीन और नागपट्टिनम के बारह मछुआरों को घर वापस आकर राहत मिली है। चेन्नई हवाई अड्डे पर पहुंचने पर मछुआरों को नागरिकता सत्यापन, सीमा शुल्क जांच और अन्य औपचारिकताओं से गुजरना पड़ा। इसके बाद मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया और उन्हें अलग-अलग वाहनों से उनके गृहनगर पहुंचाने की व्यवस्था की। रामेश्वरम के मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने कथित तौर पर सीमा पार करने और श्रीलंकाई जल में मछली पकड़ने के आरोप में 27 सितंबर को गिरफ्तार किया था।

उन्हें अदालत में पेश किया गया और जेल में डाल दिया गया। इसी तरह नागापट्टिनम जिले के 12 मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने 11 नवंबर को मुल्लईतिवु के पास मछली पकड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें भी कैद कर लिया गया। इससे पहले 1 जनवरी को श्रीलंका की जेलों से रिहा किए गए 20 भारतीय मछुआरे विमान से चेन्नई पहुंचे थे। मछुआरों को एक साल पहले श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार किया था। वे तमिलनाडु के पुडुकोट्टई, रामनाथपुरम और तूतूकुड़ी जिलों के निवासी थे और श्रीलंका की जेलों में थे। उन्हें भारतीय दूतावास के अधिकारियों को सौंप दिया गया था। ज्ञात हो कि तमिलनाडु के मछुआरा संघ राज्य के मछुआरों की नियमित गिरफ्तारी के बाद तटीय जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि वे हस्तक्षेप करें और बीच समुद्र में मशीनी नावों की जब्ती और गिरफ्तारी को रोकें, जो मछुआरों की आजीविका की रीढ़ हैं। केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में इस मुद्दे पर श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके से बातचीत की थी, जिसमें उन्होंने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों की बार-बार गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया। तमिलनाडु के 504 भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई अधिकारियों की हिरासत में हैं। करीब 48 मशीनीकृत मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर भी श्रीलंकाई अधिकारियों के कब्जे में हैं।

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