मुज़फ्फरनगर। गत दो अक्टूबर 1994 में उत्तराखंड आंदोलनकारियों पर पुलिस फायरिंग व महिलाओं पर अत्याचार की घटना के एक मामले में पुलिस द्वारा अवैध हथियार की फ़र्ज़ी बरामदगी उत्तराखंड आंदोलनकारियों पर दिखाने के आरोप में आज बचाव पक्ष की ओर से सफाई में एक गवाह पत्रकार प्रदीप शर्मा को पेश किया गया।
गवाह प्रदीप शर्मा ने अपने बयान में बताया कि घटना के दिन पुलिस ने उसके सामने अवैध हथियार बस से बरामद किए थे। विशेष अदालत के ज़ज़ मयंक जायसवाल ने गवाह से जिरह के लिए 30 अक्टूबर नियत की है। बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने गवाह के बयान कराए।
अभियोजन के अनुसार सीबीआई ने जांच में उत्तराखंडियों के विरुद्ध दर्ज मामले फ़र्ज़ी मानकर उल्टे पुलिस को ज़िम्मेदार मानते हुए तत्कालीन थाना प्रभारी झिंझाना बृजकिशोर सहित 4 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध शस्त्र अधिनियम में मामला दर्ज किया था। पुलिस ने उत्तराखंड आंदोलनकारियों की बस की सीट के नीचे से अवैध हथियार बरामद दिखाए थे।