नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दी गई अंतरिम जमानत को नियमित जमानत में बदल दिया। इस मामले में अब तक 117 गवाहों में से केवल सात के ही बयान लिए गए हैं। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने निचली अदालत से कार्यवाही में तेजी लाने को कहा। पहले दी गई अंतरिम जमानत को नियमित जमानत का आदेश देते हुए, पीठ ने आशीष मिश्रा को लखनऊ या दिल्ली में ही रहने का निर्देश दिया। इससे पहले पिछले साल सितंबर में शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा की राष्ट्रीय राजधानी में रहने की जमानत की शर्त में थोड़ी ढील दी थी, इस बात पर विचार करते हुए कि उसकी मां दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हैं और उसकी बेटी को भी इलाज की जरूरत है।
हालांकि, कोर्ट ने मिश्रा को दिल्ली में किसी भी सार्वजनिक समारोह में भाग नहीं लेने या किसी भी ऐसे मुद्दे के संबंध में मीडिया से बातचीत नहीं करने को कहा जो विचाराधीन है। जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को अंतरिम जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई थीं। इसने कहा था कि आशीष मिश्रा को अपनी रिहाई के एक सप्ताह के अंदर उत्तर प्रदेश छोड़ना होगा; वह यूपी या दिल्ली/एनसीआर में नहीं रह सकता; उसे अपने स्थान के बारे में अदालत को बताना होगा; और उसके परिवार के सदस्यों या खुद मिश्रा द्वारा गवाहों को प्रभावित करने का कोई भी प्रयास उसकी जमानत को रद्द कर सकता है।
अदालत ने कहा था कि मिश्रा को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा; वह मुकदमे की कार्यवाही में शामिल होने के अलावा यूपी में प्रवेश नहीं करेगा। इसके अलावा कोर्ट ने कहा था अभियोजन पक्ष, एसआईटी, मुखबिर या अपराध के पीड़ितों के किसी भी परिवार का सदस्य अंतरिम जमानत की रियायत के दुरुपयोग की जानकारी तुरंत शीर्ष अदालत को दे सकते हैं। अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में भड़की हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी, जब किसान यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे। यूपी पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा बैठा था।