Saturday, May 11, 2024

सत्ता के समक्ष सच बोलना प्रेस का कर्तव्य, सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनल पर सरकार के प्रतिबंध के आदेश को किया रद्द

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने मलयालम न्यूज़ चैनल ‘मीडिया वन’ पर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर प्रसारण नवीनीकरण पर प्रतिबंध लगाने वाला केंद्र सरकार का फैसला बुधवार को रद्द करते हुए कहा कि सत्ता के सामने सच बोलना प्रेस का कर्तव्य है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने ‘मीडिया वन’ पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के आदेश पर मुहर लगाने वाले केरल उच्च न्यायालय का फैसला पलटते हुए कहा कि प्रेस का कर्तव्य है कि वह सत्ता से सच बोले और नागरिकों को तथ्यों के बारे में सूचित करे।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली ‘मीडिया वन’ की याचिका पर सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि बिना किसी ठोस सबूत के राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर मीडिया पर प्रतिबंध प्रचलित कानून के खिलाफ है। पीठ ने मजबूत लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र मीडिया की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सरकार की आलोचना का यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि वह (मीडिया संस्थान) सरकार के खिलाफ है।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि सामाजिक-आर्थिक से लेकर राजनीतिक विचारधाराओं तक के मुद्दों पर एक समान दृष्टिकोण लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से खतरे से संबंधित तथ्यों को बिना ठोस सबूत के स्वीकार नहीं किया जा सकता।

पीठ ने अपने फैसले में कहा, “एक लोकतांत्रिक गणराज्य के मजबूत कामकाज के लिए एक स्वतंत्र प्रेस महत्वपूर्ण है। एक लोकतांत्रिक समाज में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य के कामकाज पर प्रकाश डालती है। मीडिया का कर्तव्य है कि वह सत्ता के सामने सच बोले।…”

शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपनायी गई सीलबंद कवर कार्यवाही की भी आलोचना करते हुए कहा, “सभी जांच रिपोर्टों को गुप्त नहीं कहा जा सकता है क्योंकि ये नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हैं।” शीर्ष अदालत ने 15 मार्च 2022 को मलयालम टीवी न्यूज चैनल पर केंद्र के 31 जनवरी 2022 के प्रतिबंध पर रोक लगा दी थी।

केरल उच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रसारण पर लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखने के बाद ‘मीडिया वन’ ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। मीडिया वन का प्रसारण 31 जनवरी 2022 को बंद किए जाने के बाद इस मीडिया संस्थान ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए इसका स्वतंत्र रहना जरूरी है। मीडिया से सिर्फ सरकार का पक्ष रखने की उम्मीद नहीं की जाती। कोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला होने की वजह से वो सिर्फ सीलबंद कवर में ही जानकारी कोर्ट को दे सकती है।

कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई यूं ही नहीं दी जा सकती है। सीलबंद कवर का बेहद कम मामलों में इस्तेमाल होना चाहिए और इसके लिए सरकार को कोर्ट को आश्वस्त करना होगा। सरकार को ये विशेषाधिकार नहीं है कि वो कोर्ट में उसके खिलाफ आये पक्ष को जानकारी ही नहीं दे। ये लोगों के अधिकार का हनन है।

10 मार्च, 2022 को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और दुष्यंत दवे ने कहा था कि मीडिया वन न्यूज चैनल पिछले 11 साल से प्रसारण कर रहा है। इस चैनल में करीब साढ़े तीन सौ कर्मचारी काम करते हैं। रोहतगी ने कहा था कि केरल हाई कोर्ट ने इस मामले में सीलबंद लिफाफे की रिपोर्ट के आधार पर फैसला किया।

दुष्यंत दवे ने कहा था कि इस चैनल के ढाई करोड़ दर्शक हैं। चैनल को केंद्र सरकार ने 2019 में डाउन लिंक करने की अनुमति दी थी। 2 मार्च, 2022 को केरल हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार किया था। केंद्र ने 31 जनवरी, 2022 को चैनल पर रोक लगाई थी।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,237FansLike
5,309FollowersFollow
47,101SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय