नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति के मंदिर में लड्डूओं में कथित रूप से मिलावट के मामले पर सुनवाई करते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है, वो जुलाई की है, लेकिन मुख्यमंत्री इसको लेकर सितंबर में बयान दे रहे हैं। प्रसादम मामले की जांच राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी ही करेगी या जांच किसी दूसरी एजेंसी को सौंपा जाएगा, सुप्रीम कोर्ट इस पर 3 अक्टूबर को आदेश सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा है कि क्या राज्य सरकार की एसआईटी काफी है या किसी स्वतंत्र एजेंसी को नए सिरे से जांच करनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट को देखकर ये स्पष्ट नहीं है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल हुआ कि नहीं। कोर्ट ने मंदिर प्रशासन से पूछा कि जिस सैंपल में मिलावट मिला था, क्या उसका इस्तेमाल प्रसादम बनाने में हुआ था। तब मंदिर प्रशासन के वकील ने कहा कि इसकी जांच करनी होगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब जांच चल रही थी, फिर ये सबूत कहां है कि प्रसादम का लड्डू बनाने में मिलावटी घी का प्रयोग हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब सरकार ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है तो एसआईटी के किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री को प्रेस में बयान देने की क्या जरूरत थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों से जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है। अगर आप जांच के नतीजे को लेकर आश्वस्त नहीं थे, तो आपने बयान कैसे दे दिया। अगर आप पहले ही बयान दे रहे हैं तो फिर जांच का क्या मतलब है।
सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी समेत दूसरे याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की है। याचिका में इस मामले की जांच की मांग की गई है, क्योंकि उनके इस आरोप से भक्तों में अराजकता पैदा हो गई है। याचिका में भगवान श्री वेंकटेश्वर के निवास स्थान तिरुपति तिरुमाला में लड्डूओं में घटिया सामग्री और पशु की चर्बी के कथित आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक कमेटी गठित करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता की आंतरिक रूप से जांच करने की जानी चाहिए। याचिका में मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं जैसे घी के नमूने के स्रोत की जांच का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि इस मामले में आंध्र प्रदेश सरकार से विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की जाए।