नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी पहचान पत्र के दो हजार रुपये के नोट को बदलने के रिजर्व बैंक के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इससे पहले एक बेंच कह चुकी है कि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय गर्मी की छुट्टी के बाद चीफ जस्टिस से सुनवाई का अनुरोध करें।
इससे पहले 7 जून को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि रिजर्व बैंक के नोटिफिकेशन में दी गई इस रियायत का माओवादी और आतंकवादी ग़लत फायदा उठा रहे है। 80 हज़ार करोड़ रुपये के नोट बदले जा चुके हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम रजिस्ट्री से रिपोर्ट तलब कर रहे है कि क्या ये याचिका जल्द सुनवाई के लिए लिस्ट होने लायक है । उसके आधार पर हम जल्द सुनवाई के बारे में फैसला लेंगे।
दरअसल, 29 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका दायर कर मांग की गई है कि दो हजार रुपये के नोट बदलने वाले का नाम और पहचान पत्र लिए बिना ये नोट जमा नहीं किए जाने चाहिए ताकि काला धन रखने वालों की पहचान हो सके। याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक का नोटिफिकेशन संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया था कि दो हजार रुपये के नोट को बिना किसी मांग पर्ची और पहचान प्रमाण के जमा करने की अनुमति देना मनमाना, तर्कहीन और भारत के संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है।