नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के विधायक पोनमुडी को मंत्री के रूप में शपथ दिलाने से इनकार करने पर आपत्ति जताते हुए गुरुवार को राज्यपाल को कड़ी फटकार लगाई।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र के सर्वोच्च कानून अधिकारी, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कहा, “आपका राज्यपाल क्या कर रहा है? एक मंत्री की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और राज्यपाल कहते हैं कि ‘मैं उन्हें शपथ नहीं दिलाऊंगा।’ आप राज्यपाल से कहें कि हमें अब कुछ टिप्पणियां करनी होंगी। कृपया राज्यपाल को बताएं कि हम इस पर बहुत गंभीरता से विचार करने जा रहे हैं।“
पीठ में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने के बाद राज्यपाल कैसे कह सकते हैं कि उनका फिर से मंत्रिमंडल में शामिल होना संवैधानिक नैतिकता के विरुद्ध है? हम राज्यपाल को कल तक का समय देते हैं। मिस्टर अटॉर्नी जनरल, अगर कल हमें आपका सकारात्मक जवाब नहीं मिला, तो हम राज्यपाल को संविधान के अनुसार कार्य करने का निर्देश देने वाला एक आदेश पारित करेंगे। हम राज्यपाल को संवैधानिक स्थिति को सही करने का मौका देकर उस स्थिति से बचना चाहते हैं।”
एजी वेंकटरमणी ने कहा कि वह राज्यपाल की कार्रवाई को उचित नहीं ठहरा रहे हैं, फाइल देखने और राज्यपाल आर.एन. रवि से बात करने के बाद जवाब देंगे।
उन्होंने हैरानी जताई कि क्या राज्यपाल के खिलाफ दायर एक लंबित रिट याचिका पर राज्य सरकार द्वारा दायर अंतरिम आवेदन में मांगी गई राहत दी जा सकती है।
मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए पोस्ट करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “मिस्टर अटॉर्नी जनरल, हम राज्य में राज्यपाल के आचरण को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। यह तरीका नहीं है, क्योंकि वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं।“
उन्होंने कहा, “राज्यपाल को यह सूचित करना बेहतर होगा कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है, तो कानून को अपने कोर्स का पालन करना होगा। यह मामला जिस तरह से राज्यपाल के स्तर पर आगे बढ़ा है, उससे हम बेहद चिंतित हैं।”
पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी को पिछले साल दिसंबर में आय से अधिक संपत्ति मामले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद अपना पद छोड़ना पड़ा था।
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने पोनमुडी को मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने के लिए राजभवन को अनुरोध भेजा। हालांकि, राज्यपाल आर.एन. रवि ने पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ दिलाने से इनकार कर दिया।