नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए केवल मुफ्त राशन उपलब्ध कराने तक सीमित न रहते हुए रोजगार के अवसर पैदा करने पर जोर देने का सुझाव दिया है। अदालत ने सवाल उठाया कि कब तक लोगों को मुफ्त सुविधाएं दी जाती रहेंगी। यह टिप्पणी खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Food Security Act) के तहत भोजन उपलब्ध कराने से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान की गई।
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सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और मनमोहन की पीठ ने 9 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार को लोगों के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि लोगों को केवल मुफ्त राशन पर निर्भर रखना दीर्घकालिक समाधान नहीं है।
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एनजीओ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अदालत में दलील दी कि सरकार को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत ने पूर्व में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड जारी करने का निर्देश दिया था। अब जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं, लेकिन ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं, उन्हें भी केंद्र द्वारा मुफ्त राशन का लाभ मिलना चाहिए।
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केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध करा रही है। यह देश के गरीब वर्गों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास है।
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केंद्र की दलील के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि हम कब तक मुफ्त चीजों पर निर्भर रह सकते हैं?”“क्या सरकार रोजगार के अवसर पैदा करने और गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाओं पर काम कर रही है?”
सभी पात्र लोगों को राशन कार्ड जारी किया जाए। प्रवासी श्रमिकों को उनके कार्यस्थलों के पास रोजगार और क्षमता निर्माण का अवसर दिया जाए। गरीबों को दी जाने वाली सहायता के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर दिया जाए।