कहावत है आदमी अपने आप को यदि बूढ़ा समझ ले तो आधा बूढ़ा तो तभी हो जाता है और बाकी बूढ़ा तब होता है जब वह बूढ़ा दिखने लगता है। युवा रहने के लिए के लिए हमें इन दोनों बातों को मन से निकाल देना चाहिए। दो बातों पर विशेष ध्यान देना होगा। पहला खुद को बूढ़ा दिखने से रोकें, दूसरा खुद को बूढ़ा न समझें। कुछ बातों को अपना कर आप उम्र को अपने पर हावी न होने दें।
बूढ़ा दिखने से रोकने के लिए
अपने कपड़े एवं लुक पर समय-समय पर ध्यान दें। सभी तरह के कपड़ों को पहनें। किसी भी ड्रेस को यह सोचकर पहनना न छोड़ें कि आप बूढ़े हो गए हैं। हर उस ड्रेस को पहनें जो आप पर जंचती हो वह चाहे किसी भी रंग में हों।
नियमित व्यायाम करते रहें। कभी व्यायाम को मिस न करें। व्यायाम करने से शरीर में चुस्ती रहती है तथा शरीर भी स्वस्थ रहता है। व्यायाम के साथ-साथ लंबी वाक भी करें।
भोजन में पौष्टिक तत्वों का समावेश हो, इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियाँ, जूस, सलाद खाएं। शरीर में खून की मात्रा ठीक रखने के लिए, अनार, चुकंदर और सेब लें। पेट ठीक रखने के लिए छिलके समेत चार पांच बादाम खाएं। इससे त्वचा भी मुलायम रहती है व दिमाग भी तेज होता है।
हाजमा दुरुस्त रहे, इसके लिए खाने पीने की वस्तुओं का उपयोग अपनी भूख के अनुुुुसार करें। ज्यादा या कम खाना आपकी सेहत को नुक्सान पहुँचा सकता है।
स्वयं को बूढ़ा समझने से रोकने के तरीके सिखाने से ज्यादा सीखने की कोशिश करें।
जिंदगी के प्रत्येक दिन को भरपूर जिएं। जीवन बार-बार नहीं मिलता।
चिड़चिड़ापन बुढ़ापे की निशानी है इसलिए सबसे मीठा बोलें। मीठा बोलने वाले बहुत जल्दी दूसरों के मन में जगह बना लेते हैं और आकर्षण का केंद्र बनते हैं।
बच्चों के बारे में ही न सोचें। अपने बारे में भी सोचें। बुढ़ापे में कई लोग अपने बारे में सोचना छोड़ देते है जो कि ठीक नहीं है।
किसी भी कपड़े, गाने को इस तरह न लें कि यह तो सिर्फ युवा वर्ग के लिए ही है। किसी भी कपड़े या गाने का उम्र से कोई ताल्लुक नहीं होता।
कुदरत सबके लिए समान रूप से मेहरबान होती है इसलिए मौसम का भरपूर मजा लें।
बीते दिनों को भुलाएं नहीं। कॉलेज स्कूल के दिनों को बच्चों और दोस्तों में शेयर करें।
यदि कोई हल्का मजाक करता है जो उसे सामान्य लें। अपोजिट सेक्स से चुहलबाजी करना न भूलें।
डिप्रेशन को अपने ऊपर हावी न होने दें। इसके लिए लोगों से खूब बातें करें और अपने को बिजी रखें।
नए जमाने के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें। बच्चों की बातों में रूचि लें। शादी-ब्याह में लड़के-लड़कियों को मिलने का मौका दें। युवाओं की हरकतों पर नाराज न हो बल्कि गलत हरकतों पर उन्हें समझाएं। बच्चों से ज्यादा से ज्यादा आज के जमाने की ही बातें करें। जब जीना ही आज में है तो बीते दिनों की डींगें मारना बेफिजूल हैं।
– विवेक शर्मा