सहारनपुर। एसएसपी सहारनपुर की कोठी को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। अंग्रेजों की जमाने की यह कोठी 1889 से एसएसपी सहारनपुर को आवंटित है। जिसकी कीमत करीब 150 करोड़ है। कुछ लोगों ने इस कोठी पर हक जताते हुए एसएसपी को किरायेदार बता दिया। जिनसे किराया मांगा गया, किराया नहीं दिया तो खाली करने के लिए कहा गया। पुलिस-प्रशासन की सात सदस्यीय कमेटी ने पूरे प्रकरण पर जांच की। अब कमेटी ने रिपोर्ट दी है, जिसमें बताया कि कोठी को कब्जाने की नीयत से सरकारी अभिलेखों में गलत तथ्यों के आधार पर स्वामित्व दर्शाया गया। दावा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
ऐसे पकड़ में आया मामला
वर्ष 2022 में एसएसपी सहारनपुर को एक नोटिस मिला। इसमें कुछ लोगों ने दावा किया कि यह कोठी उनकी जमीन में है। एसएसपी किरायेदार हैं। हालांकि पूर्व में रहे एसएसपी को भी नोटिस दिए गए थे, जिस पर उन्होंने जांच पड़ताल किए गए शासन को इससे अवगत करा दिया था। जब मौजूदा एसएसपी के पास नोटिस गया और दावाकर्ता किरायानामा या पूर्व में दिए गए किराये की रसीद उपलब्ध नहीं करा सके। तब संदेह होने पर मौजूदा एसएसपी डॉ. विपिन ताडा और जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र के आदेश पर सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई। इसमें एसपी ट्रैफिक, अपर नगरायुक्त और एसडीएम सदर आदि अधिकारी शामिल किए गए।
यह दी गई रिपोर्ट
हाल ही में कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि यह कोठी 1889 से एसएसपी सहारनपुर के नाम पर अभिलेखों में दर्ज चली आ रही है। तत्कालीन तहसीलदार न्यायिक सदर द्वारा अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नामांतरण आदेश पारित किए गए थे, जो कानून के अनुसार नहीं है। एसएसपी कार्यालय के रिकॉर्ड में भी ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है, जिससे दावाकर्ता का दावा सही साबित हो सके।
नगर निगम में दर्ज स्वामित्व का नहीं मिला कोई रिकॉर्ड
जांच के दौरान 3 मई 2024 को नगर निगम ने जानकारी दी कि यह यह संपत्ति लंबे समय से निजी व्यक्तियों के नाम से चल रही है और एसएसपी का नाम किरायेदार के कॉलम में दर्ज है। उस समय किस आधार पर यह नाम दर्ज किया गया, नगर निगम में इसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं है। निगम की तरफ से लिखित में दिया गया कि नगर निगम के दस्तावेजों में किसी व्यक्ति का नाम दर्ज किया जाना मालिकाना हक नहीं, बल्कि गृहकर दस्तावेजों में केवल कर वसूली के लिए नाम दर्ज किए जाते हैं। हो सकता है कि पुराने समय में दावाकर्ता ने नगर निगम में साठगांठ कर स्वामित्व में नाम दर्ज करा लिया हो।
रिपोर्ट का यह निकला निष्कर्ष
रिपोर्ट में आशंका जताई गई कि भविष्य में संपत्ति कब्जाने की नीयत से पुराने समय से यह खेल रहा है। सांठगांठ से स्वामित्व में नाम दर्ज कराया गया, साथ ही राजस्व परिषद लखनऊ से भी 2015 में गलत तथ्यों के आधार पर आदेश कराए गए। जिसमें पुलिस या राज्य सरकार को सुना नहीं गया। दावाकर्ता ने सरकारी संपत्ति को कब्जाना चाहा, जिन पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। इस कोठी की कीमत करीब 150 करोड़ है।
कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सभी पत्रावली तैयार कर शासन को भेज दी गई है। राजस्व परिषद में दोबारा अपील के लिए डाला गया है। इसके अलावा हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया। जो भी आदेश होगा उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. विपिन ताडा, एसएसपी सहारनपुर