नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में सेंध की 13 दिसंबर की घटना की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सभी छह आरोपियों और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खाते का ब्योरा प्राप्त कर लिया है। आरोपियों ने कारस्तानी की योजना और रणनीति व्हाट्सएप ग्रुप पर बनाई थी। एक सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
आरोपियों ने कथित तौर पर 7-8 सदस्यों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था, जिस पर समन्वय कर उन्होंने संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए अपनी योजना और रणनीति बनाई थी।
जांच टीमें वित्तीय लेनदेन की गहनता से जांच कर रही हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि 13 दिसंबर को हुई घटना को अंजाम देने के लिए आरोपियों को किसी से पैसे मिले थे या नहीं।
सूत्रों ने कहा कि क्राइम सीन को दोबारा बनाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है।
पुलिस ने कहा, “हमने वहां के सभी सीसीटीवी के फुटेज एकत्र कर लिए हैं और टीमें उन्हें स्कैन कर रही हैं। हमने फुटेज के आधार पर आरोपियों से पूछताछ भी की है।”
2001 के संसद हमले की 22वीं बरसी पर 13 दिसंबर को दर्शक दीर्घा से लोकसभा हॉल में प्रवेश करने में कामयाब रहे दो लोगों की पहचान मनोरंजन डी और सागर शर्मा के रूप में की गई है।
मनोरंजन कर्नाटक से इंजीनियरिंग का छात्र है। उसे और उसके दोस्तों को विजिटर पास मैसुरु के सांसद प्रताप सिम्हा (भाजपा) की सिफारिश पर जारी किए गए थे।
अन्य दो – एक पुरुष और एक महिला, जो संसद के बाहर रंगीन फ़्लेयरों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया, उनकी पहचान हरियाणा के जिंद निवासी नीलम आजाद और महाराष्ट्र के लातूर निवासी अमोल शिंदे के रूप में की गई है। मनोरंजन, सागर, नीलम और शिंदे के फोन लेकर भागे इस मामले के कथित मास्टरमाइंड ललित झा ने कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण कर चुका है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि झा से पूछताछ के बाद पुलिस ने छठे आरोपी महेश कुमावत को भी आपराधिक साजिश और सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।
14 दिसंबर को अदालत ने चार आरोपियों सागर, मनोरंजन डी, नीलम और अमोल को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। इन चारों को 13 दिसंबर को संसद परिसर से गिरफ्तार किया गया था।
झा की निशानदेही पर जले हुए फोन की बरामदगी के बाद पुलिस ने पहले से दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (सबूत नष्ट करना/साक्ष्य गायब करना) जोड़ने का फैसला किया है।
पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में उनके और झा के खिलाफ दर्ज मामले में धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 452 (अतिक्रमण), 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 186 (लोक सेवकों को सार्वजनिक कार्यों में बाधा डालना), आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवकों को ड्यूटी से रोकने के लिए हमला), यूएपीए की धारा 16 और 18 शामिल हैं।
झा ने संसद के बाहर अमोल और नीलम के विरोध प्रदर्शन का वीडियो बनाने के बाद वीडियो को कई लोगों के साथ साझा भी किया और उन्हें इसे प्रसारित करने के लिए कहा था।