-नीतू गुप्ता
जब लड़की जवान होती है तो अपने आस पास शादी शुदा कपल्स को खुश और मस्त देखती है, तब उसके
मन में भी शादी के बारे में कई विचार आते हैं। जब वह शादी की उम्र तक पहुंचती है तो हजारों
अरमान संजोये होते हैं उसने अपने छोटे से दिल में पति के लिए, पति के माता-पिता और भाई बहन के
लिए पर वह विवाह के बाद नये घर में प्रवेश करती है तो उसके मन में सपनों के साथ कुछ डर भी
होता है। उसे लगता है कि कैसे वह नये परिवेश में अपना सामंजस्य बिठा पाएंगी।
ऐसे में नई दुल्हन से अनजाने में कुछ चूक हो जाए तो यह छोटी सी चूक कलह का कारण बन जाती है,
इसलिए वधू को बहुत सोच समझ कर, विचार कर कदम उठाने चाहिए ताकि घर वालों से सामंजस्य
स्थापित कर पाए।
चाहे लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज, नए परिवार का परिवेश उसके लिए अनजान ही होता है। अरेंज मैरिज
हो तो जो समय सगाई और शादी के बीच का होता है, उसमें कुछ बातें अपने भावी पति से मिलकर
स्पष्ट कर लेनी चाहिएं ताकि सामंजस्य बैठाना मुश्किल न हो। लव मैरिज हो, तब भी अपने ब्वाय फ्रेंड
से परिवार के स्वभाव, उम्मीदों के बारे में जान लेना जरूरी होता है। कई बार कुछ गलतफहमियां लव
मैरिज में भी दरार पैदा कर देती हैं। तब पछतावे के अलावा हाथ में कुछ नहीं रहता।
पति की आय के बारे में जानकारी रखना:- पति यदि बिजनेसमैन हैं और बिजनेस अकेला देखता है तो
उसकी आय के बारे में जानें ताकि आप मानसिक रूप से तैयार रहंे कि आपको उसके हिसाब से ही
खर्च करना है और भविष्य के लिए भी कुछ बचा कर रखना है।
यदि आप भी कामकाजी हैं और पति भी नौकरी करते हैं, तब भी अपनी आय उन्हें बताएं और उनकी आय
भी जानें क्योंकि आप दोनों को गृहस्थी चलानी है और भविष्य की योजनाएं बनानी हैं। यदि बिजनेस
परिवार के साथ सांझा है, तब भी किस आधार पर कमाई का बंटवारा होता है, यह आपको जानने का
पूरा हक है। पति पत्नी में अधिकतर झगड़े कुछ समय बाद रूपये पैसों को लेकर ही होते हैं।
मिल बांट कर काम करें:- आप भी कामकाजी हैं तो दोनों मोर्चे बिना मदद के संभालना कठिन है। ऐसे में
आप जल्दी टूट जाएंगी। टूटने का अर्थ है परिवार में तनाव। आप संयुक्त परिवार में शादी करवा कर जा
रही हैं और नौकरी भी करती हैं तो शादी के शुरू में ही परिवार में उतनी मदद करें जितनी आप से
आसानी से हो सके नहीं तो पार्ट टाइम या फुल टाइम सर्वेन्ट रख कर परिवार में शांति बना कर रखें।
विवाह करवा कर आपको पति के साथ कहीं दूसरे शहर में रहना है तो काम का बंटवारा कैसे करें, यह
भावी पति से डिस्कस कर सकती हैं या विवाह के प्रारंभ में भी इस बारे में बात कर सकती हैं। निर्णय
बैठकर आपस में करें ताकि बाद में बेवजह झगड़ा न हो।
दोनों परिवारों में तुलना न करें:- कभी भी दो परिवारों में तुलना न करें। इस बात का ध्यान रखें कि दोनों
परिवारों की परिस्थितियां, रहन सहन के तरीके, आय के साधन, परिवार में सदस्यों की संख्या अलग-
अलग होने के कारण समानता होना कठिन होता है।
यदि आपके मायने में किसी चीज पर दिल खोल कर खर्च होता हो और ससुराल में न होता हो तो इस
बात का रौब न मारें। स्वयं को उस वातावरण में ढालने का प्रयास करें। मायका आपका पास्ट था, यह
प्रेजेन्ट है, इस बात को दिमाग में रखें।
गुस्से में निर्णय मत लें:- परिवार में कुछ छोटी मोटी बात हो जाती है और आपको वो बात बुरी लगती है
और आप गुस्से में आकर कुछ भी निर्णय ले लें तो यह गलत है। गुस्से में लिया निर्णय प्रायः गलत
होता है और बात को बिगाड़ देता है। फिर जीवन भर अफसोस करने से बेहतर है कि संभल कर निर्णय
लें। बात की गहराई तक जाएं, मन शांत होने पर उस बात पर पुनर्विचार
करें।
स्वयं को तैयार रखें:- नए परिवार में यदि आपको शादी के बाद साथ रहना है या अलग, इस बात के लिए
मानसिक रूप से तैयार रहें। कई बार लड़कियां अकेले दूसरे शहर में जाते हुए घबराती हैं। अपने मन को
तैयार रखें ताकि बाद में परेशानी न हो।
इसे भी रखें ध्यान में:- शादी के बाद आपके दोस्त आपके घर पर आएं तो क्या ससुराल वालों को या
आपके पति को यह पसंद है कि नहीं। यदि लव मैरिज हो तो अपने भावी पति से बात कर लें और यह
भी पूछ लें कि उसके परिवार वाले आपत्ति तो नहीं करेंगे। अरेंज मैरिज में एक दो महीनों के अंदर पति
से बात कर लें। दोस्ती अपनी जगह है और रिश्ते अपनी जगह। दोस्ती निभाने के लिए रिश्तों की
कुर्बानी न देने में भलाई है।
जब दोनों पार्टनर अलग धर्म के हों:- अलग धर्म के लोग जब शादी करने का फैसला ले लेते हैं तो इस बात
को स्पष्ट कर लें कि ससुराल वालों को शादी के बाद आपको अपने धर्मस्थल पर जाने देने में कोई
आपत्ति तो नहीं। थोड़े बहुत आपके धर्म के त्योहार वो मनांएगे या नहीं, आपके धर्म को भी इज्जत की
निगाह से देखेंगे या नहीं। बच्चा होने पर बच्चा कौन सा धर्म अपनाए। इन बातों को स्पष्ट कर लें
ताकि बाद में शादीशुदा जीवन में जहर न घुले।
नए परिवार में जाने से पहले किसी भी परिवार के सदस्य के बारे में कोई पूर्व धारणा न बनाएं। वहां जाकर
उनसे निर्वाह कर, उन्हें समझ कर फैसला लें।
परिवार के सदस्यों के जन्मदिन, विवाह की सालगिरह की तारीख याद रखें। छोटे-छोटे उपहार भी दें ताकि
परिवार में अपनापन महसूस हो सके। संयुक्त परिवार में हैं और आप दोनों कामकाजी हैं, किसी
कारणवश आपको घर देर से आना हो इसकी सूचना परिवार में जरूर दें। माता-पिता को सम्मान दें,
छोटे भाई या बहन हों उन्हें भरपूर प्यार दें। कभी कभी उनके साथ पिकनिक या सिनेमा जाएं।
घर के काम के प्रति अपना फर्ज निभाएं। माता-पिता बीमार हों तो छुट्टी लेकर उनका ध्यान रखें। यदि
आप नये घर में बेटी बनकर फर्ज निभाएंगी तो वो भी बेटी की तरह भरपूर प्यार देंगे। (उर्वशी)