Friday, April 11, 2025

होली का बदलता प्रारूप, कितना सही-कितना गलत

हमारे देश में कई राष्ट्रीय तथा धार्मिक पर्व हैं जो समय-समय पर आपसी एकता तथा भाईचारे को बढ़ावा देते हैं। रक्षा बंधन, ईद, दशहरा, दीपावली तथा होली मुख्य धार्मिक पर्व माने जाते हैं। इन्हीं पर्वों में प्रमुख होली अपनी ही विशेषता लिए हुए आती है।

होली का आगमन मार्च (फाल्गुन) माह में होता है, जब सर्द ऋतु विदाई की तैयारी में होती है तथा ग्रीष्म ऋतु आने की तैयारी में होती है। होली में हर राज्य की ही विशेषताओं को देखें तो मालूम होगा कि उत्तर प्रदेश राज्य के कुछ क्षेत्रों की होली पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इसमें ब्रज, नंदगाव तथा बरसाना क्षेत्र तो होली के लिए ही प्रसिद्ध हैं। यहां होली की तैयारियां एक महीना पूर्व ही शुरू हो जाती हैं।

रंग खेलते समय आंखों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आपकी जरा सी लापरवाही देखने की शक्ति को नुकसान पहुंचा सकती है। कुछ लोग रंग की बजाय ग्रीस, कालिख, तारकोल इत्यादि ही प्रयोग में लाते हैं। यह कदापि उचित नहीं। ऐसा करने से सामने वाले की नजर में आपका चरित्र गिरता है। होली में सभी को सावधानियां बरतनी चाहिएं। युवाओं को चाहिए कि वे नशे का सेवन न करें।

होली खेलते समय महिलाओं, विशेष कर युवतियों को विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर आप अपने किसी रिश्तेदार, विशेषकर पुरूष वर्ग से होली खेल रही हैं तो बहुत सी बातों को मध्य नजर रखना चाहिए। अक्सर देखने में आता है कि होली के रोज लोग अपनी अश्लील हरकतों से बाज नहीं आते।

रंग की आड़ में कई बुरे ख्याल मन में रख लेते हैं। महिलाओं तथा युवतियों को होली अपने पूरे परिवार के सामने ही खेलनी चाहिए। होली खेलने वाला आपका जीजा हो या देवर, पति हो या दोस्त, कोशिश करनी चाहिए कि थोड़ा सा रंग-गुलाल खेल कर किनारा कर लिया जाये।

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आपका ज्यादा खुलापन विशेषकर पुरूष वर्ग के प्रति नुकसानदायक भी हो सकता है। होली में कीचड़ तथा गंदा पानी फेंकते समय हमें सोचना चाहिए कि यह जरा भी ठीक नहीं है। इससे अभद्रता प्रकट होती है। अगर कोई रंग न खेलना चाहे तो जोर जबरदस्ती से उस पर रंग नहीं डालना चाहिए।

कोशिश करनी चाहिए कि होली खेलते समय पानी का प्रयोग न किया जाए। विशेषकर बच्चों के प्रति इस बात का ख्याल रखना चाहिए। सर्द ऋतु की वजह से ठंडे पानी से बच्चे बीमार भी हो सकते हैं। होली में जहां अच्छाइयां हैं, वहां हम बुराइयों को अपनाते जा रहे हैं। यह बहुत गलत है।

शांतिपूर्वक और प्रेम से खेली गई होली ही होली का मुख्य प्रारूप है। हमें बुराइयों को त्यागते हुए अपना ध्यान अच्छाइयों पर देना चाहिए। सही मायने में वही होगा होली का सही प्रारूप जिसे हम सब को मिलकर तैयार करना होगा।
– नफे सिंह पुनिया

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