राजस्थान। राजस्थान के भरतपुर के राज परिवार का विवाद अब सडक़ों पर आ गया है। यह विवाद भरतपुर के उस राज परिवार में हो रहा है। जिस राज परिवार ने कभी कोई युद्ध नहीं हारा। भरतपुर का राज परिवार जाट समाज के राजाओं का ऐतिहासिक परिवार है। भरतपुर के राज परिवार के सदस्य आपस में ही बवाल मचा रहे हैं।
विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि उन्हें प्रताडि़त किया गया। पर्याप्त भोजन नहीं दिया गया और अंतत: अपने घर से भगा दिया गयाद्ध( उन्होंने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत आवेदन दायर किया है। 62 वर्षीय विश्वेंद्र सिंह ने अपने आवेदन में कहा, वो हृदय रोग से पीड़ित हैं और अवसाद का सामना नहीं कर सकते हैं। 2021 और 2022 में दो बार COVID-19 से संक्रमित हुए। लेकिन पत्नी और बेटे ने देखभाल तक नहीं की। विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया, पिछले कुछ वर्षों से मेरी पत्नी और बेटे ने मेरे खिलाफ बगावत शुरू कर दी। उन्होंने मेरे साथ मारपीट की, मेरे दस्तावेज और कपड़े जला दिए और मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और खाना भी बंद कर दिया. मुझे किसी से भी मिलने की मनाही थी और उन्होंने मुझे महल के भीतर लंबे समय तक यातनाएं दीं। आखिरकार उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया और मैं कई सालों से कहीं और रह रहा हूं।
उन्होंने कहा, महल से निकाले जाने के बाद से मैं खानाबदोश का जीवन जी रहा हूं. शुरुआत में मैं जयपुर में अपने सरकारी आवास में रहा और बाद में मैं होटलों में रहा। वे मुझे महल में जाने से रोकते रहे। पूर्व मंत्री ने दावा किया कि कई प्राचीन वस्तुएं, ट्रॉफियां, पेंटिंग और फर्नीचर समेत करोड़ों रुपये की पैतृक संपत्ति उनकी पत्नी और बेटे के कब्जे में है। सिंह ने महल और सभी संपत्तियों का स्वामित्व उन्हें ट्रांसफर किए जाने की मांग की है।
विश्वेंद्र सिंह के आरोपों के बाद उनकी पत्नी दिव्या सिंह और पुत्र अनिरुद्ध सिंह ने पत्रकार वार्ता की और विश्वेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दिव्या सिंह का कहना है कि पति विश्वेंद्र सिंह मोती महल को बेचने जा रहे थे, जिसके बाद परिवार में झगड़ा शुरू हो गया था। इससे पहले वो पूर्वजों की जो संपत्ति थी, उसे वो बेच चुके हैं। हालांकि, मैं मरते दम तक मोती महल को बचाने का काम करूंगी, चाहे जो भी हो जाए। विश्वेंद्र सिंह द्वारा हम लोगों को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। विश्वेंद्र सिंह ने जो इल्जाम लगाए हैं, वो सभी गलत हैं।
दिव्या का कहना था कि अगर मैं मुंह खोलूंगी तो 30 साल में जो हुआ, उससे ऐसा ना हो कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाए। मैंने आज तक एक शब्द नहीं बोला है। आज पहली बार बेटे के साथ बैठी हूं। मेरे साथ अत्याचार हो रहा है और बेटा मेरे साथ खड़ा है। क्षेत्र के लोग भी यह नहीं कह सकते हैं कि बेटा अनिरुद्ध गलत कर रहा है।
मैंने बिगड़ा हुआ घर संभाला है। आज मेरे ऊपर इल्जाम लगाए जा रहे हैं। अभी भी मैंने अपना मुंह नहीं खोला है। मैं यहां सिर्फ अपने बेटे के साथ खड़ी हूं। मैं यही कह सकती हूं कि हर औरत को ऐसा बेटा मिले, जो अपनी मां के खिलाफ अत्याचार पर आवाज उठाए। मैं यही कहूंगी कि मोती महल को बचाकर रहूंगी। बेटा अनिरुद्ध का कहना था कि इस मामले में एसडीएम को अवगत कराया है।
ये मामला नया नहीं है, सबसे पहले वो एसडीएम कोर्ट में गए, हम लोगों ने अपना पक्ष रखा है। हम लोगों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। हम लोगों को घर-परिवार से लेकर काम धंधा भी देखना पड़ता है। वे सिर्फ हमें प्रताड़ित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। वो लोगों को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं।
विरासत को बेचना कहां तक ठीक कहा जा सकता है। ये उनसे पूछा जाना चाहिए, भरतपुर रियासत का जब सरदार पटेल ने एकीकरण किया था, उस समय कितनी प्रॉपटी थीं और 1995 के बाद बेच-बेचकर दिल्ली से लेकर आगरा तक की कितनी प्रॉपर्टी बची हैं? मथुरा का मंदिर कहां है? हमारी गोवर्धन में छतरियां चली गई हैं। भरतपुर के राजघराने का यह विवाद पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।