हरिद्वार। गुरु-शिष्य की पवित्र परम्परा का प्रतीक गुरु पूर्णिमा पर्व रविवार को पतंजलि योगपीठ के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रामदेव व महामंत्री आचार्य बालकृष्ण के सानिध्य में पतंजलि वैलनेस योगपीठ-2 स्थित योगभवन ऑडिटोरियम में मनाया गया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि गुरु पूर्णिमा भारत की गुरु परम्परा, ऋषि परम्परा, वेद परम्परा व सनातन परम्परा का बहुत ही गौरवपूर्ण व पूर्णता प्रदान करने वाला पर्व है। गुरु पूर्णिमा का पर्व सनातन धर्म को युग धर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने का पर्व है।
उन्होंने कहा कि सबकी दृष्टि भारत की ओर है कि भारत से पूरी दुनिया को शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक जीवन में नई दिशा मिलेगी। यह दिशा देने का कार्य भारत गुरु देश के रूप में करता रहा है, इसीलिए भारत विश्वगुरु रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत अपनी उस भूमिका में पुनः आए, इसके 100 करोड़ से अधिक सनातनधर्मी अपने गुरुओं के सच्चे प्रतिनिधि बनें। योग तत्व, वेद तत्व व सनातन तत्व को अपने जीवन व आचरण में धारण करें। हमारे आचरण से किसी भी प्रकार से हमारी गुरु, ऋषि, वेद व सनातन परम्परा कलंकित नहीं होनी चाहिए।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का पर्व पर हम अपने पूर्वजों के जीवन के आधार पर जीवन जीने का संकल्प लें। जीवन में हम अच्छे व सच्चे बनना चाहते हैं तो इसके लिए सफल, सक्षम महापुरुष के सानिध्य की आवश्यकता होती है। सीखाने व ज्ञान देने वाले को ही हमारे शास्त्रों गुरु कहते हैं।
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध सभी इकाईयों के सेवाप्रमुख, संन्यासीगण, इकाई प्रमुख, विभागाध्यक्ष तथा प्रभारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।