Thursday, May 2, 2024

अतीक की ‘दहशत’ का हाल, सजा देने वाले जज, वकीलों को मिली सुरक्षा, बीजेपी विधायक पर भी खतरा, सुरक्षा बढ़ाई !

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प्रयागराज- पूर्वांचल के कुख्यात माफिया अतीक अहमद को उमेश पाल अपहरण कांड में उम्र कैद की सजा सुनाने के बाद प्रयागराज में ‘अज्ञात भय’ व्याप्त हो गया है, इसी दहशत के माहौल के चलते सजा सुनाने वाले जज,सरकारी वकील, वादी के वकील समेत भारतीय जनता पार्टी के विधायक को भी अतिरिक्त सुरक्षा दी जा रही है।

आपको बता दें कि 2 दिन पहले कुख्यात माफिया अतीक अहमद को उमेश पाल अपहरण कांड में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।  100 से अधिक मुकदमे में वांछित कुख्यात माफिया के खिलाफ 40 साल से ज्यादा की अवधि में आज तक कभी कोई सजा नहीं सुनाई गई, ज्यादातर मामलों में तो इसके खिलाफ शिकायत कर्ता या गवाह सामने नहीं आते हैं।

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प्रयागराज में इसकी इसी दहशत का नतीजा है कि 2 दिन पहले इसे जब उम्र कैद की सजा सुनाई गई है तो उसके बाद इंटेलिजेंस वहां के उन लोगों के प्रति चिंतित है, जो कहीं ना कहीं इस पूरे मामले से जुड़े रहे हैं। अतीक अहमद को उम्र कैद की सजा सुनाने वाले जज दिनेश चंद्र शुक्ला समेत इस मामले की पैरवी करने वाले सरकारी वकील रमेश वैश्य को सुरक्षा मुहैया कराई गई है।  उमेश पाल की हत्या के बाद उनके मुकदमे की पैरवी कर रहे वकीलों को भी सुरक्षा दी गई है।

कुख्‍यात माफिया अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज दिनेश चंद्र शुक्‍ला को नई व्‍यवस्‍था के अनुसार  वाई कैटिगरी की सुरक्षा दी गई है। अतीक अहमद को सजा सुनाने के बाद शासन की ओर से यह कदम उठाया गया है। इससे पहले मंगलवार को सजा सुनाने के लिए कोर्ट आते समय भी जज को पुलिस सुरक्षा मिली थी।

इसी बीच जिस सीट से अतीक अहमद पांच बार विधायक चुना गया है, उस सीट से वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के विधायक और पूर्व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बताया जाता है कि सिद्धार्थ नाथ सिंह की सुरक्षा इंटेलिजेंस रिपोर्ट मिलने के बाद बढ़ाई गई है।

100 से अधिक अपराधों में शामिल रहे अतीक को पहली बार किसी मामले में सजा मिली है और प्रयागराज में उसकी दहशत का आलम यह है कि इंटेलिजेंस विभाग इन सभी की सुरक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील हैं।

आपको बता दें कि उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक अहमद समेत तीन लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है, बाकी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया है। इस मामले में दोनों ही पक्ष फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं। अतीक उसे मिली सजा को चुनौती दे रहा है तो अभियोजन उसके भाई की रिहाई को सही नहीं मान रहा है।

आपको बता दें कि  प्रयागराज में अतीक का चार दशक से लम्बा आतंक का इतिहास है और अतीक वहां इतना प्रभावशाली है कि जेल में रहते हुए भी वह चुनाव जीत जाता है। अतीक के सभी दलों में निजी रिश्ते बहुत प्रगाढ़ हैं।

पिछले दिनों  सर्विलांस टीम ने अतीक को भारतीय जनता पार्टी के एक ‘माननीय’ के  साथ भी टेलीफोन पर बात करते पकड़ा था उस समय अतीक साबरमती जेल में ही था।  मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अतीक एक ‘माननीय’ को व्हाट्सएप कॉल कर रहा था लेकिन जब उनकी व्हाट्सएप कॉल नहीं लगी तो अतीक ने उनके फोन पर ही सीधे कॉल कर ली, ‘माननीय’ ने जैसे ही फोन पर अतीक की आवाज सुनी उन्होंने तुरंत ही फोन काट दिया ,पर पुलिस के रिकॉर्ड में यह सबूत दर्ज हो गया। अतीक को सजा के बाद वापस साबरमती जेल ही  पहुंचा दिया गया है।

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