मेरठ। मेरठ के कोतवाली क्षेत्र स्थित गुदड़ी बाजार में 16 साल पहले घटित तिहरे हत्याकांड के मामले में अपर जिला जज स्पेशल कोर्ट एंटी करप्शन-2 पवन कुमार शुक्ला ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले में इजलाल कुरैशी और शीबा सिरोही समेत कुल 10 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा प्रत्येक दोषी पर 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। इस मामले में फैसला सुनाने के दिन कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। अदालत परिसर में बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहे ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। सभी 10 दोषियों को अदालत के आदेश पर तुरंत जेल भेज दिया गया है।
यह हत्याकांड 16 साल पहले 24 जुलाई को घटित हुआ था और इससे संबंधित फैसले की तारीख तय की गई थी। फैसले से पहले अभियुक्त अब्दुल रहमान उर्फ कलुआ के अधिवक्ता ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र पेश किया था। जिसमें उन्होंने बताया कि इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ट्रांसफर प्रार्थना पत्र संख्या 128, वर्ष 2024 विचाराधीन है। हालांकि अदालत ने इस प्रार्थना को स्वीकार किए बिना अपना फैसला सुनाया।
कहानी की शुरुआत मेरठ कॉलेज में पढ़ने वाले राधा गार्डन के एक छात्र की शिकायत से हुई। उसने अपने जानकार सुधीर उज्ज्वल, सुनील ढाका, और पुनीत गिरि को बताया कि एक दूसरे समुदाय का लड़का शीबा को अपने साथ ले जाता है, जिससे पूरे क्षेत्र की मान-मर्यादा प्रभावित हो रही है। इसके बाद सुनील, सुधीर और पुनीत ने इजलाल को चेतावनी दी, लेकिन उसने उनकी बात नहीं मानी। अंततः बात मारपीट तक पहुंच गई, जिसमें इजलाल के पैर में फ्रैक्चर भी हो गया। यह घटना इजलाल और तीनों युवकों के बीच अदावत की शुरुआत थी। शीबा सिरोही सेना के एक कैप्टन की तलाकशुदा पत्नी थी। इजलाल के साथ गहरा दोस्ताना संबंध था।
सुनील, सुधीर और पुनीत इस दोस्ती के खिलाफ थे और इसका विरोध कर रहे थे। शीबा ने इजलाल को इन तीनों युवकों से दूर रहने की सलाह दी। लेकिन इजलाल प्रतिशोध की भावना से भरा हुआ था। शीबा ने इजलाल को तीनों युवकों की हत्या के लिए उकसाया और 22 मई 2008 की रात को इजलाल ने तीनों युवकों को बुलाकर उनकी हत्या कर दी।