नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मनी लांड्रिंग मामले में अपने आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर कल यानी 23 नवंबर को भी सुनवाई जारी रखेगा। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को आंशिक दलीलें सुनीं।
आज सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने स्वयं को दोषी ठहराने के लिए गवाही देना, जिसके कारण किसी पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है, इस पर चिंता जताई। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आप कह रहे हैं कि ईडी एक बयान दर्ज करता है, जिससे व्यक्ति खुद को दोषी स्वीकार करता है और फिर ईडी उस बयान पर भरोसा करती है और जिम्मेदारी बदल जाती है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्या यह कानून नहीं है कि अदालत किसी भी स्वीकारोक्ति या स्वीकारोक्ति के लिए हमेशा पुष्टिकारक साक्ष्य मांग सकती है। तब सिब्बल ने कहा कि यहां समस्या यह है कि आप आरोपित या व्यक्ति को उस स्तर पर गिरफ्तार नहीं करते, जब आप उसे धारा 50 के तहत पूछताछ के लिए बुलाते हैं। सिब्बल ने कहा कि फिर जमानत प्रावधान के तहत आरोपित को यह दिखाना होगा कि वो दोषी नहीं है। आरोपित के पास ईसीआईआर भी नहीं है और आरोपित को इसकी जानकारी भी नहीं है।
18 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की समीक्षा न किए जाने की केंद्र सरकार की मांग को ठुकरा दिया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के प्रावधानों की जांच राष्ट्रीय हित में हो सकती है। हम ईडी की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करेंगे।
पुनर्विचार याचिका कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने दायर की है। मनी लांड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देते हुए दो सौ के आसपास याचिकाएं दायर की गई थीं, जिन पर 27 जुलाई को जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई, 2022 को अपने फैसले में ईडी की शक्ति और गिरफ्तारी के अधिकार को बहाल रखने का आदेश दिया था। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत ईडी को मिले विशेषाधिकारों को बरकरार रखा था। कोर्ट ने पूछताछ के लिए गवाहों, आरोपितों को समन, संपत्ति जब्त करने, छापा डालने ,गिरफ्तार करने और ज़मानत की सख्त शर्तों को बरकरार रखा था।
कोर्ट ने कहा था कि मनी लांड्रिंग एक्ट में किए गए संशोधन को वित्त विधेयक की तरह पारित करने के खिलाफ मामले पर बड़ी बेंच फैसला करेगी। कोर्ट ने कहा था कि मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 3 का दायरा बड़ा है। कोर्ट ने कहा था कि धारा 5 संवैधानिक रूप से वैध है। कोर्ट ने कहा था कि धारा 19 और 44 को चुनौती देने की दलीलें दमदार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा था कि ईसीआईआर एफआईआर की तरह नहीं है और यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है। एफआईआर दर्ज नहीं होने पर भी संपत्ति को जब्त करने से रोका नहीं जा सकता है। एफआईआर की तरह ईसीआईआर आरोपित को उपलब्ध कराना बाध्यकारी नहीं है। जब आरोपित स्पेशल कोर्ट के समक्ष हो तो वह दस्तावेज की मांग कर सकता है।