Friday, May 17, 2024

महाकाल मंदिर के गर्भगृह दो महीने रहेंगे बंद, 19 साल बाद 59 दिनों का होगा सावन

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उज्जैन। इस बार सावन में लगातार दो माह तक महादेव की पूजा होगी और पूरे आठ सावन सोमवार का व्रत रखा जाएगा, क्योंकि सावन 59 दिनों का होगा। ऐसा संयोग 19 साल बाद बना है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में श्रावण की खास तैयारियां की जा रही हैं। श्रावण मास के दौरान महाकालेश्वर मंदिर में दो माह गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। अतिविशिष्ट को छोड़कर किसी भी व्यक्ति को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं रहेगी। वहीं मंदिर समिति देशभर से आने वाले कावड़ यात्रियों के लिए जलाभिषेक की विशेष व्यवस्था करेगी। आम भक्त भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर सकें, इसके लिए जल पात्र लगाए जाएंगे।

पंचांग की गणना के अनुसार चार जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत होगी। इस बार सावन का महीना शिवभक्तों के लिए बहुत ही खास रहने वाला है। हर साल सावन 30 दिनों का होता है और चार-पांच सोमवार व्रत रखे जाते हैं। इस बार 19 साल बाद श्रावण अधिकमास के रूप में आ रहा है। सावन चार जुलाई से 31 अगस्त तक रहेगा और अधिकमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। इसके पहले 2015 में यह संयोग बना था और अब 2042 में फिर ऐसा होगा।

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समिति द्वारा श्रावण में दर्शन व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जा रहा है। समिति सदस्यों ने मंदिर प्रशासन को श्रद्धालुओं की सुविधा और कावड़ यात्रियों की व्यवस्था के संबंध में सुझाव दिए हैं। उनका कहना है कि महाकाल महालोक निर्माण के बाद इस बार श्रावण में 10 लाख से अधिक भक्तों के महाकाल दर्शन करने आने का अनुमान है। प्रतिदिन सैकड़ों कावड़ यात्री भी जल अर्पित करने आएंगे। इसलिए दो माह अतिविशिष्ट व्यक्तियों को छोड़कर गर्भगृह में प्रवेश बंद रखने का निर्णय लिया गया है।

महाकाल मंदिर समिति के प्रबंधक एवं उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने सोमवार को बताया कि भक्तों को गणेश व कार्तिकेय मंडपम से भगवान महाकाल के दर्शन होंगे। यहां जल पात्र की विशेष व्यवस्था रहेगी, जिसके माध्यम से भक्त भगवान को जल अर्पण कर सकेंगे। पूर्व के वर्षों में श्रावण मास में गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित रहता आया है, उसी के अनुसार इस बार भी तैयारी जारी है।

मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य पं. राम पुजारी ने बताया कि श्रावण मास में शिव को जल अर्पण का विशेष महत्व है। कावड़ यात्री व आम भक्तों के लिए बाहर से जल चढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी। गर्भगृह में दो माह प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। ऐसे में भक्त गर्भगृह में जाकर जल नहीं चढ़ा पाएंगे। विशेष परिस्थिति में अतिविशिष्ट व्यक्ति को गर्भगृह में प्रवेश मिलेगा।

वहीं, प्रबंध समिति के दूसरे सदस्य पं. राजेंद्र शर्मा गुरुजी ने बताया कि पूर्व में भी श्रावण मास में इस प्रकार की व्यवस्था लगू की जाती रही है। हमारा प्रयास टनल निर्माण को शीघ्र पूरा करने का है। इस मार्ग के शुरू होने से कावड़ यात्री व आम भक्तों के लिए जल अर्पण की व्यवस्था रहेगी।

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