नई दिल्ली। भारत के 76वें गणतंत्र दिवस पर रविवार को आयोजित भव्य परेड में कर्तव्य पथ पर देश की सैन्य शक्ति के साथ ही सांस्कृतिक विविधता, सरकारी योजनाओं की सफलता और महिला सशक्तीकरण की झलक देखने को मिली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और मुख्य अतिथि के रूप में पधारे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने परेड का अवलोकन किया और देश की वीरता तथा समृद्धि का गौरव महसूस किया।
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इस वर्ष की परेड में दिल्ली की झांकी ने विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया, जो शिक्षा क्षेत्र में हो रहे अभूतपूर्व बदलावों को प्रस्तुत कर रही थी। ‘शिक्षा क्रांति’ के विषय पर आधारित इस झांकी ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सुधार और डिजिटल शिक्षा के महत्व को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया। झांकी में स्मार्ट क्लासरूम, तकनीकी शिक्षा, और छात्रों के लिए विविध शैक्षिक अवसरों का उल्लेख किया गया, जो दिल्ली सरकार के शिक्षा सुधार कार्यक्रमों का हिस्सा हैं।
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झांकी के माध्यम से दिल्ली सरकार की ‘हैप्पीनेस करिकुलम’ और ‘देश के मेंटर’ जैसी पहलें सामने आईं, जिनका उद्देश्य छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास को भी प्राथमिकता देना है। झांकी में छात्रों को स्मार्ट कक्षाओं में पढ़ते हुए और आधुनिक तकनीकों के प्रयोग में व्यस्त दिखाया गया, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे डिजिटल परिवर्तन को उजागर किया गया।
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भारत सरकार की शिक्षा नीति के तहत किए गए प्रयासों का यह दृश्य देश की आगामी पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बना। झांकी ने यह भी दर्शाया कि शिक्षा न केवल शैक्षिक विकास का साधन है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और समग्र राष्ट्र निर्माण में भी योगदान करता है।
दिल्ली की शिक्षा क्रांति की झांकी न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक संदेश थी। इसने यह प्रदर्शित किया कि शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचार न केवल छात्रों के जीवन को सुधारते हैं, बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करते हैं।
यह झांकी परेड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई और दर्शकों द्वारा काफी सराही गई। राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस झांकी की सराहना की, क्योंकि यह दर्शाता है कि भारत न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी शक्ति को बढ़ा रहा है।