(भारत वर्ष में 25 करोड़ बच्चे आज भी गाय भैस का दूध पीने से वंचित है आज भी 35 करोड़ो परिवारो को शुद्ध देशी घी खाने को नही मिलता है)
विश्व में भारत लगभग एक दशक से भारत दूध में पहले स्थान पर रहा है विश्व के कुल दूध उत्पादन में लगभग 23 प्रतिशत का योगदान है वर्ष 17-18 में 170 मिलियन दूध का उत्पादन हो रहा है प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध उपलब्धता 220 ग्राम के लगभग है कृषि जी.डी.पी. में पशु पालको का योगदान लगभग 26 प्रतिशत है दुनिया के सर्वश्रेष्ठ भैस व गाय नस्लो का उदगम स्थल है।
भारत सरकार की राष्ट्रीस डेयरी अनुसंधान करनाल संस्थाये दूध उत्पादन बढने के लिए कई तरह के शोध कर रही है। दूध उत्पादन की सर्वश्रेष्ठ श्रृखंला में दूध से बनी मिठाईयों का बहुत बडा योगदान है। मिठाई बनाने वालो को राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान करनाल के शोध किये हुये प्रोडेक्टो का लाभ मिलना चाहिये। जो दुकानदारो को नही मिल रहा। एक लाख लोगो को प्रत्यक्ष रूप से डेयरी उद्योग म0प्र0 मे रोजगार दे सकता है। म0प्र0 सरकार को डेयरी उद्योग के लिये अनुसांधन करने की आवश्यकता है।
भारत के डेरी सेक्टर में 70 से 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग असंठित क्षेत्र के डेरी सेक्टर में है। विश्व में भारत में दूध उत्पादन में भले ही एक नम्बर स्थान पर है फिर भी मानक स्तर के मामले में देखा जाये तो हम बहुत पीछे है। पौष्टिकता दूध में है दूध पदार्थ में वो किसी भी फूड पदार्थ में नही ।
दूध में सिर्फ मुख्यता दो चीज की कमी है फायवर व आयरन अगर दोनो को मिला दिया जाये तो कम्पलीट फूट बनता है हम दूध में किस तरह से फायवर व आयरन मिला सकते है हमारे देश में कई राष्ट्रीय स्तर की डेरी अनुसंधान सस्थाये शोध कर रही है । दूध में प्रोटीन, कैल्शियम और राईबोफ्लेबिन (विटामिन बी-2) विटामिन-ए डी, के व ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम आयोडीन व कई खनिज, वसा और ऊर्जा वसा, और ऊर्जा देने वाले पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते है।
एफएसएसएआई की ओर से तय मापदंडो के तहत वास (फैट) और सॉलिड नॉट फैट (एसएनएफ) का प्रतिशत देखा जाता है नियम के अनुसार गाय के दूध में एसएनएस कम से कम 8.5 प्रतिशत है। इन्ही मापदण्डो के आधार पर देश के पॉच राज्यों में उत्पादित दूध का औसत एसएनएफ 8.5 प्रतिशत है। गोआ 8.9 प्रतिशत कर्नाटक 8.5 प्रतिशत मिजोरम 8.5 प्रतिशत छत्तीसगढ 8.6 प्रतिशत महाराष्ट्र 8.5 प्रतिशत दूध का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा एसएनएफ होता है जिसमें विटामिन्स मिनरल, प्रोट्रीन कैल्शियम मैगनीशियम, पोटेशियम, इल्कटोस होते है।
आप सुबह रोज एक गिलास दूध व लस्सी व बादाम लस्सी पीकर जाये तो उसमें पूरे दिन का न्युट्रीशन होगा और दूध ही उसमें यह चीजे दे सकता है। सन 1950-60 में जब हम लोग 39 मिलियन टन धान पैदा कर रहे थे तब दूध का उत्पादन सिर्फ 17 मिलियन टन था । यानि कि राइस प्रोडक्शन का आधा था और आज हम लोग राइस से ज्यादा 137 मिलियन टन पैदा कर रहे है दिसम्बर 2019 तक इसकी 146 मिलियन टन हो जाने की सम्भावना है। आने वाले समय में हमारे देश में जो जरूरत है तो न्यूट्रीश्न सिक्युरिटी की डेरी सेक्टर को अगर हम आगे बढ़ाएगे तभी हमारा देश न्युट्रीशिन सिक्योर्ड होगा।
हमारे देश में विश्व के 40 प्रतिशत कुपोषित बच्चे है भारत सरकार व अन्य समाजसेवी सस्था का ये दायित्व बनता है कि गॉवो व शहरो में जाकर गर्भवती माताओं को बताना होगा कि शुरू के 1,000 दिन का पोषण उनका न्युट्रीशन है जिसका प्रभाव बच्चे पर पूरी उम्र पडता है। यदि बच्चे को 1,000 दिन में बच्चे को पौष्टिक पदार्थ नही दिया गया अच्छा खाना नही दिया तो उसका शारीरिक व बौद्धिक विकास रूक जाता है।
दूधारू पशुओं में पाये जानी वाली मस्टाइटिस बीमारी से हर साल डेरी उद्योग को 3800 करोड का नुकसान होता है। वर्ष 2022-23 में लम्पी बीमारी से डेयरी उद्योग को काफी नुकसान हुआ। नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोसेज, करनाल (एनएबीजीआरआई) ने अपने शोध में इसे सच पाया। 22 प्रजाति के देसी नस्ल की गायो पर शोध के बाद संस्थान ने पाया कि इनमें से पांच प्रजातियों लाल सिंधी, साहीवाल, थरपाकर, गिर और राठी सर्वाधिक दूध देती हैं उनका दूध सौ फीसद ए-2 प्रकार का होता हैं अन्य में यह मात्रा 97 फीसदी तक होती हे। पर जर्सी एवं फ्रीजियन में यह महज 60 फीसदी ही है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेज जैसे देश के कुछ शीर्ष चिकित्सकीय संस्थाओं ने भी अपने शोध में देसी प्रजाति की गायों के दूध को बेहतर माना है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान बीकानेर राजस्थान द्वारा उटनी का दूध भी लोगो को पीने के लिये पाउडर में उपलब्ध करा दिया गया है ऊटनी का दूध पीने से व्यक्ति कई बीमारीयों से बचता है। गाय व भैस के साथ ऊटनी का दूध भी मिल्क पावडर के रूप में बाजार में उपलब्ध है। सयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन के अनुमान के अनुसार ऊटनी के दूध का बाजार लगभग 5 अरब अमरिकी डॉलर हो सकता है। कई देशो में ऊटनी के दूध की काफी डिमाण्ड है भारत में राष्ट्रीय ऊट अनुसंधान केन्द्र बीकानेर ऊट के दूध से आईसक्रीम दूध व खीर का उत्पादन कर रहा है। तथा कुछ कम्पनियां दूध से चाकलेट भी बना रही है।
दूध की मांग अधिक होने के कारण सफेद पोस अपराधी संगठित होकर डेरी व्यवसाय को भी दूषित कर दिया है, डेरी व्यवसाय में आज कल दूध में डिटजैंट की मिलावट वनस्पति तेल व अन्य प्रकार के तेलो को मिलाया जाता है डिटजैंट से सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है।
दूध उत्पादन में दूध से बनने वाले घी में भी मिलावट की जाती है । वनस्पति तेल हाइड्रोजनी की मिलावट की जाती है। दूध उपभोक्ता को कम गुंणवता तथा मिलावटी दूध का सामना करना पडता है इसकी वजह से आर्थिक व शारीरिक नुकसान हो रहा है । कुछ लोग दूध में मिलावट करने का काम करते है दूध में हानिकारक रासायनो के साथ उर्वरक, अमोनियम, लवण, पोटेशियम सल्फेट, कास्टिक सोडा,डिटजैंट, सुक्रोज, न्यूट्रलाइजर और यूरिया आदि को मिलाकर इसकी छवि को खराब कर दिया है। ऐसे लोगो को भारत सरकार द्वारा दूध में मिलावट रोकने के लिए कडा कानून बनाया गया है।
कई राज्य सरकारों ने मिलावट खोरो के खिलाफ अभियान चलाया है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार करकर जेल भेजा है। दूध में मिलावट करने वाले लोग अपने देश के साथ अपनी देश की जनता के साथ गदारी व धोखा करते है। ऐसे लोगो के खिलाफ भारतीय दण्ड सहिता के तहत 420 का मुकदमा दर्ज होना चाहियें। और आयकर विभाग को इन लोगो की सम्पत्ति को सीज करना चाहियें। महाराष्ट्र सरकार द्वारा मालवानी हुंच मिलावट वाले मामले में आरोपियों पर हत्या की धारा 302 लगाई है देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा कि दूध में मिलावट करने वा
लो को सजा उम्र कैद की सजा मिलना चाहिये। आज कल गाय, भैसों की ब्रिकी व जानकारी ऑनलाईन भी हो रही है।
भारत सरकार डेयरी उद्योग में निवेश को सरकार फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की तरह आयकर की धारा 80-बी की उपधारा (11ए) क तहत मिलने वाले लाभ मुहैया कराए तो यह उद्योग के लिए काफी हितकारी होगा। इसके तहत डेयरी उद्योग अपने प्रोसिोसिंग कारोबार, संरक्षण और पैकेजिंग आदि से हुए मुनाफे पर टैक्स हॉली-डे का लाभ ले सकेगें। डीआरडीओ इंदौर द्वारा दूध की गुणवत्ता जॉचने के लिये किट तैयार की है जो कुछ ही सैकेण्ड में क्या मिलावट है बता देगी । राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्था करनाल हरियाणा द्वारा दूध में मिलावट रोकने के लिए किट तैयार की गई है।
(लेखक-विष्णु अग्रवाल)