Friday, November 22, 2024

धन्नीपुर में मस्जिद की जरूरत नहीं, वहां खेती हो : इकबाल अंसारी

अयोध्या। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में वादी रहे इकबाल अंसारी इसके विध्वंस को लेकर भले ही कानूनी दांव पेंच में उलझे रहे हों, लेकिन नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद उन्होंने खुले दिल से इसका स्वागत किया था। अब वे निर्माणाधीन राममंदिर को लेकर भी काफी खुश हैं। हालांकि, धुन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद को लेकर उनका नजरिया बहुत अलग है।

अंसारी उस जमीन पर खेती करने और उपजे अनाज को हिंदू-मुसलमानों में बराबर बांट कर खाने की वकालत कर रहे हैं।

अंसारी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण से लेकर हर मुद्दे पर आईएएनएस से बातचीत की।

धुन्नीपुर की प्रस्तावित मस्जिद का काम कब शुरू होगा, इस सवाल पर उनके चहरे पर तनाव की स्थिति आ गयी और उन्होंने कहा कि आज नहीं बहुत दिन से कह रहा हूं कि कोई मुसलमान यह नहीं पूछ रहा है कि वहां मस्जिद बनी कि नहीं बनी? फिर, उस बारे में तो इतना ही कहूंगा कि अब वहां मस्जिद की जरूरत भी नहीं है। मुसलमानों से एक अपील भी है। जो जमीन मिली है, पाँच एकड़, जफर भाई को चाहिये, उसमें खेती करें। जो अनाज पैदा हो उसे हिंदू मुसलमानों में बांटें। हाँ, एक बात और है। धुन्नीपुर वाली मस्जिद के ट्रस्टी जफर फारूकी हैं। वक्फ बोर्ड के चेयरमैन हैं। वो, चाहे बनावे या ना बनाएं। अब मुसलमान उसको पूछता भी नहीं। सरकार ने जमीन दे दी है। मुसलमानों को कोई शिकायत नहीं।

उन्होंने कहा, “मै उसमें कुछ भी नहीं हूँ। इस विवाद में मैं पड़ना भी नहीं चाहता।”

श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में उन्होंने कहा कि देखिये, सवाल हमारे यहां अयोध्या का है। अच्छी बात है। मंदिर बनकर तैयार है। पूजा पाठ होने जा रहा है। देश विदेश के लोग आ रहे हैं। सबका साथ सबका सम्मान होना चाहिए। हमें भी आमंत्रण मिला है और हम जाएंगे भी। इसमें रिश्तेदार और पास पड़ोस का कोई लेना देना नहीं। अकेले हमको निमंत्रण मिला है। हम अकेले जाएंगे।

आम मुसलमानों की सोच और समस्याओं मे सवाल पर उन्होंने कहा कि अयोध्या का श्रीराम मंदिर बनने से यहां का विकास भी हो रहा है। सड़कें बन रहीं हैं। रोडवेज बन रहा है। अब रेलवे स्टेशन है, एयरपोर्ट भी। विकास रहा है। इससे रोजगार बढ़ेगा। जब यात्री यहां आएंगे तो रोजगार बढ़ेगा ही। जब यह सवाल हुआ कि आम मुसलमान ने भी कोर्ट को सम्मान दिया। शांति बनाये रखा। लेकिन ओवैसी साहब को यह नागवार गुजर रही है। अंसारी ने कहा कि ओवैसी को हम नहीं जानते हैं। न उनकी बात करते हैं।

अंसारी ने मथुरा और काशी के विषय भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जहां का मसला है, वहां के लोग निपटाएंगे। हम तो अयोध्या के हैं। जो भी रहा अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया, हमने उसका सम्मान किया। देश के मुसलमानों ने सम्मान किया।

उन्होंने कहा कि अभी तक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मेरे जाने या न जाने को लेकर किसी प्रकार से कोई रोक नहीं है। कोई फतवा भी नहीं लगा मेरे ऊपर। ना हमको किसी ने मना किया। भाई हम अयोध्या के रहने वाले हैं। अयोध्या का जो समाज है, हिंदू मुसलमानों का समाज। एक दूसरे लोगों का लगाव है। हर धार्मिक कार्यक्रम में लोग हमेशा आते जाते रहते हैं। हमारे यहां भी जब कव्वाली होती है तब हिंदू मुसलमान एक साथ बैठते हैं। आते हैं, जाते हैं। हमारे यहां भेदभाव नहीं है।

इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार में से एक रहे हैं। इससे पहले उनके पिता हाशिम अंसारी ने कोर्ट में बाबरी मस्जिद का केस लड़ा और वह इस केस में मुख्य पक्षकार बनकर सामने आए थे। हाशिम अंसारी बाबरी मस्जिद-जन्मभूमि केस के सबसे उम्रदराज वादी थे। फैसला आने से पहले हाशिम अंसारी का इंतकाल हो गया। इसके बाद इकबाल अंसारी मुख्य पक्षकार बने। फिर केस की कमान उनके बेटे इकबाल अंसारी ने संभाली और वह कोर्ट में ये केस लड़ते रहे।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय