मुरादाबाद/मुजफ़्फरनगर। प्रमुख समाजसेवी समर्थ प्रकाश के ससुर पदमश्री साहू सुशील सहाय को हजारों लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। समर्थ प्रकाश की पत्नी सुचिता प्रकाश ने अपने पिता की अंत्येष्टि प्रक्रिया पूरी कर मिसाल कायम कर दी।
पदमश्री साहू सुशील सहाय को हज़ारों लोगों ने श्रद्धांजली देते हुए उनकी सामाजिक सेवाओं का स्मरण किया और उनकी पुत्री सुचिता प्रकाश ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए अंतिम संस्कार से लेकर तमाम संस्कार कर्म अपने हाथों से संपन्न कर एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। बिलारी, मुरादाबाद में पद्मश्री साहू सुशील सहाय की रस्म पगड़ी संम्पन्न हुई। हज़ारों नम आंखों ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए और समाज के लिए उनकी सेवाओं का स्मरण किया।
मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ समाजसेवी समर्थ प्रकाश की पत्नी सुचिता प्रकाश ने अपनी पिता की इच्छा अनुसार अंत्येष्टि की सारी रस्म अदा की और उन्हें ही पगड़ी पहनाई गई। इस नेक कार्य मे उनकी बहन सुनैना गुप्ता ने भी बहन का पूरा सहयोग किया। ऐसे कृत्य महिला सशक्तिकरण की मिसाल है।
पदमश्री सुशील सहाय को 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब ने नई किस्म इज़ाद करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था। एक ज़मींदार परिवार में जन्मे साहू सहाय ने मुरादाबाद, चंदौसी, बिलारी, संभल, रामपुर बेल्ट के किसानों के संघर्ष को समझा और शिवालिक 88 नामक एक नई मेंथा प्रजाति बाटी, जिसमें ज्यादा तेल निकलता था। उनके इस कार्य से लाखों किसानों को रोजगार मिला, किसान को बेहतर मूल्य ।
पंतनगर कृषि यूनिवर्सिटी ने उनके कार्य को तत्कालीन केंद्र सरकार को भेजा और सम्मानित कराया। साहू सुशील सहाय की धर्मपत्नी आशा सहाय, दामाद समर्थ प्रकाश, मुदित गुप्ता, शुभांगिनी प्रसाद, प्रणित गुप्ता, देवांगना प्रसाद (सभी नाती) और चाचा साहू सुनील सहाय (पूर्व चेयरमैन बिलारी), अक्षय जग्गी ने अपने-अपने शोक संदेश दिए और उनकी विरासत को आगे ले जाने का संकल्प किया। ‘रॉयल बुलेटिन’ भी महिला सशक्तिकरण की इस मिसाल को सलाम करता है।