शामली। प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती, यह कर दिखाया है गांव की दलित वर्ग की एक उस बेटी ने जिसे दो वक्त की रोटी के लिए खुद भी अपने माता-पिता के साथ भट्टे पर जाकर मजदूरी करनी पड़ती थी। लेकिन उसके बावजूद इस बेटी ने इंटरमीडिएट परीक्षा में 91% अंक प्राप्त कर अपना कालेज टॉप किया। साथ ही जिले में भी टॉप टेन में अपना स्थान बनाने में सफल रही। इस बच्ची की प्रत्येक विषय में डिस्टिंक्शन है। इस बच्ची का सपना है कि वह भले ही गरीब हो, लेकिन वह यूपीएससी की परीक्षा में अपनी किस्मत आजमाना चाहती है।
आपको बता दें कि शामली जनपद के गांव चूसासा की रहने वाली है। ज्योति वह छात्रा है जिसका पालन पोषण बेहद गरीबी में हुआ है। माता-सीमा पिता-विजयपाल गांव के पास स्थित एक भट्टे पर मजदूरी कर अपना परिवार चला रहे हैं। ज्योति अपने गांव से 2 किलोमीटर दूर स्थित कुरमाली इंटर कॉलेज में 12वीं की छात्रा रही और 2024 के परीक्षा परिणाम में ज्योति ने 91% अंक प्राप्त कर अपना कॉलेज टॉप किया। साथ ही जनपद में भी टॉप टेन में अपना स्थान बनाने में कामयाब रही।
ज्योति ने बताया की तंगी की हालत में उसके माता-पिता के साथ-साथ उसके शिक्षकों ने भी उन्हें बहुत अधिक प्रेरित किया। जिसकी वजह से वह विपरीत परिस्थितियों में इतने अंक प्राप्त करने में सफल रही ।
कुरमाली वैदिक इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य कुलदीप सिंह ने बताया कि ज्योति का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। ऐसे में ज्योति ने परिजनों के साथ मेहनत मजदूरी करते-करते अपनी पढ़ाई के लिए 6-7 घंटे का समय निकाल लिया। उसके लिए उसे अपनी नींद का समय कम करना पड़ा। साथ ही उनके शिक्षकों ने 24 घंटे उनकी प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए उसे अपना समय दिया वह फोन व व्हाट्सएप के माध्यम से अपने डाउट क्लियर कर अपनी स्टडी जारी रखती रही।
बताया कि ज्योति उन लड़कियों के लिए एक आईना है जो संपन्न परिवारों में पाली बढी है,तथा बड़े-बड़े पब्लिक स्कूल में महंगे संसाधनों के साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। लेकिन जितने कम संसाधनों में ज्योति ने यूपी बोर्ड में 90 प्लस अंक प्राप्त किया। उसके लिए वह उन गरीब बच्चियों के लिए एक मिसाल व प्रेरणा स्रोत है। इस बच्ची को आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए समाज व सरकार की एक बड़ी जिम्मेदारी है जिसका निर्भर करना चाहिए।