Wednesday, February 12, 2025

गाजियाबाद में बनी डाक्यूमेंट्री में दिखेगी राशन वितरण प्रणाली की पारदर्शिता

गाजियाबाद। भारत सरकार ने यूपी में राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता को लेकर एक डाक्यूमेंट्री बनवाई है। जिसमें खाद्यान्न वितरण प्रणाली की पारदर्शिता को दर्शाया गया है। शालीमार गार्डन स्थित मनोज शर्मा की राशन वितरण दुकान में ये डाक्यूमेंट्री बनाई गई है।

 

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जिला आपूर्ति अधिकारी अमित तिवारी ने बताया कि भारत सरकार ने ये डाक्यूमेंट्री बनवाई है। जिसका उद्देश्य यह दिखाना है कि प्रदेश में खाद्यान्न वितरण  अब ऑनलाइन हो रहा है। ऑनलाइन प्रक्रिया होने से राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता आई है। उन्होंने बताया कि डाक्यूमेंट्री के माध्यम से ये दिखाया गया है कि कैसे ई—पॉश मशीन में लाभार्थी अंगूठा लगाते हैं और उनको किस प्रकार से खाद्यान्न वितरण किया जाता है। ये पूरी प्रक्रिया डाक्यूमेंट्री में प्रदर्शित कर समझाई गई है। जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि डाक्यूमेंट्री बनाने के दौरान मौके पर खाद्यान्न ले रहे लाभार्थियों से भी बात करवाई गई है। जिसमें लाभार्थी ने खाद्यान्न वितरण प्रणाली को लेकर संतोष जाहिर किया है और ऑनलाइन प्रक्रिया से राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता को लेकर सरकार की तारीफ की है।

 

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उन्होंने बताया कि खाद्यान्न वितरण विभाग पूरी तरह से अब ऑनलाइन हो गया है। राशन कार्ड के ऑनलाइन होने से जनपद में किसी भी राशन कार्ड के सदस्यों के नाम ऑनलाइन पोर्टल से देखे जा सकता है। डीएसओ अमित तिवारी ने बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया होने से राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता आई है। राशन लाने और ले जाने वाले वाहनों को भी जीपीएस से लैस किया जा चुका है। जिससे उसकी निगरानी आसानी से की जा रही है।

 

 

आधार कार्ड लिंक होने की वजह से अगर किसी व्यक्ति का एक स्थान से दूसरे स्थान पर नाम होगा तो वह आसानी से पकड़ में आ रहा है। उन्होंने बताया कि जनपद में सभी राशन वितरण की दुकानों पर ई-पास मशीन से सत्यापन के माध्यम से राशन वितरित किया जा रहा है। इससे राशन की कालाबाजारी पर लगाम लगी है।

 

 

 

राशन वितरण दुकानदारों को निर्देश दिए हैं कि ग्राम सभा के लोगों के मोबाइल नंबर को खाद्यान्न विभाग से जोड़े और दूसरे चरण में 50 लोगों का जिससे जब और राशन एफसीआई से उठाएं तो उस ग्राम पंचायत के लोगों को इसका मैसेज मिल जाए। उन्होंने बताया कि राशन वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए जिला स्तर पर कमेटी सतर्कता विभाग और आइजीआरएस के माध्यम से निगरानी रखी जाएगी।

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